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कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580
आईएसबीएन :9781613015803

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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें

9580_KaheDena…_by_AnsarQumbari अंसार क़म्बरी की काव्य यात्रा से मैं विगत पन्द्रह-बीस वर्षो से परिचित हूँ। क़म्बरी की ग़ज़लों की पाण्डुलिपि देखने को मिली। पाण्डुलिपि में संकलित ग़ज़लों में एकता, प्रेम त्याग की भावनायें देखने को मिलती हैं, उदाहरण के तौर पर उनकी कुछ पंक्तियाँ देखें -

जो हम लड़ते रहे भाषा को लेकर
कोई ग़ालिब न तुलसीदास होगा

आप सूरज को मुठ्ठी में दाबे हुये
कर रहे हैं उजालों का पंजीकरण

मौत के डर से नाहक़ परेशान हैं
आप ज़िन्दा कहाँ हैं जो मर जायेंगे

आ गया फागुन मेरे कमरे के रौशनदान में
चन्द गौरय्या के जोड़े घर बसाने आ गये

हम अपनी अना लेके अगर बैठ गये तो
प्यासे के क़रीब आयेगा एक रोज़ कुआँ भी

अंसार क़म्बरी की सपाट बयानी उनकी ग़ज़लों की विशेषता है। उन्होंने सामान्य बोलचाल की भाषा में ग़ज़लें कहीं हैं जिसके कारण दुरूहता के अंधे जंगल में भटकना नहीं पड़ता।

मुझे पूर्ण विश्वास है कि श्री क़म्बरी की ग़ज़लों का संकलन राष्ट्रीय एकता, सौहार्द का वातावरण बनाने एवं समाज को एक दिशा प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगा, इन्हीं शुभकामनाओं सहित।

- रंजन अधीर

अनुक्रम


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