नई पुस्तकें >> बारहवीं रात (नाटक) बारहवीं रात (नाटक)शेक्सपियर, रांगेय राघव
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Twelfth Night का हिन्दी रूपान्तर
बारहवीं रात एक सुखान्त नाटक है। इसका लेखन-काल अन्तस्साक्ष्य और बहिस्साक्ष्य की परीक्षा के उपरान्त 1601 ई. माना जाता है। इस नाटक में दो कथाएँ हैं—एक प्रेम की कथा, दूसरी है हास्य कथा। प्रथम का स्त्रोत इन ग्रन्थों से माना जाता है-एपोलोनियस और सिल्ला; ग्लि’ इन्गन्नति तथा इन्गन्नि। बैण्डेलो के उपन्यासों के संग्रह में इसका प्रारम्भिक रूप माना जाता है। बैण्डेलो की इतालवी भाषा की रचना से यह कुछ परिवर्तन के साथ बैलेफोरेस्ट द्वारा फ्रेंच में उतर आई। किन्तु इसकी हास्य कथा शेक्सपियर की अपनी ही है। वह मौलिक है। इन हास्य पात्रों का सृजन कवि की अपनी प्रतिभा का परिणाम है।
बारहवीं रात का दूसरा नाम और है—‘जैसी तुम्हारी इच्छा हो’। उन दिनों के हल्की चीज़ों को देखने के शौकी़न दर्शकों के लिए यह नाम काफी दिलचस्प था। बड़े दिन यानी क्रिसमस के बारह दिन बाद, अर्थात् 6 जनवरी को इंग्लैण्ड में एक उत्सव हुआ करता था, जो क्रिसमस के बाद काफी महत्त्व रखता था। उस दिन कई खेल भी होते थे। सब मित्र और परिवार के लोग इकट्ठे होते थे और केक काटा जाता था। उसे बाँटने पर जिस पुरुष और स्त्री के केक के टुकड़ों में मटर और सेम पाए जाते थे उन्हें उस दिन राजा और रानी मान लिया जाता था। इस नाटक में भी तीन पति और पत्नियाँ बनती हैं। शायद इसीलिए इसका नाम बारहवीं रात रखा गया है। दूसरा नाम ‘जैसा तुम चाहो’ से बहुत मिलता है या इसका अर्थ है कि न यह पूरी तरह सुखान्त नाटक है, न रोमान्स ही है, न दुःखान्त ही है, न है मास्क। वही मान लो—जैसी तुम्हारी इच्छा हो।
1607 ई. में ‘जैसी तुम्हारी इच्छा हो’ नाम से मार्स्टन की भी एक कॉमेडी छपी थी।
नाटक का स्थान इलिरिया है। जो एक काल्पनिक स्थान है। वैसे ही जैसे शेक्सपियर के एक अन्य नाटक—‘द विन्टर्ज़ टेल’ का स्थान ‘बोहीमिया’ है।
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