लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> अकबर

अकबर

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :114
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10540
आईएसबीएन :9781610000000

Like this Hindi book 0

धर्म-निरपेक्षता की अनोखी मिसाल बादशाह अकबर की प्रेरणादायक संक्षिप्त जीवनी...

समदर्शी है नाम तिहारो

शेरशाह न्याय को दृढता और निष्पक्षता से लागू करता था। उसने सुल्ताननुल अदल (न्याय) की उपाधि धारण कर रखी थी। इतिहासकार कानूनगो बताते हैं कि साढ़े पांच साल के छोटे से शासन काल में एक भी ऐसा उदाहरण नहीं मिलता जब वह अपने इस सिद्धांत (निष्पक्ष न्याय) से तिल भर डिगा हो। उसकी न्यायप्रियता के बारे में अब्बास खां का कथन भी उल्लेखनीय है, ‘‘वह सदा उत्पीड़ित और न्याय मांगने वाले वादी के वाद के बारे में वास्तविक सच्चाई क्या है, पहले इसकी जांच-पड़ताल कर लेता था। उसने कभी उत्पीड़कों या अत्याचारियों का पक्ष नहीं लिया चाहे वे उसके निकट संबंधी हो या लाड़ले बेटे, चाहे वे प्रतिष्ठित अमीर हों या उसके कुनबे के लोग। उसने उत्पीड़क को सजा देने के मामले में न देरी की न नरमदिली दिखाई।’’ एक साधारण स्त्री की फरियाद पर उसने अपने बेटे को कड़ा दंड दिया था। अब ऐसे न्यायी व्यक्ति के प्रति जिसका न्याय अटल हो, कौन गर्व से नहीं भर उठेगा।

अब्बास खां की प्रशंसा ने तो एक मिथकीय रूप ले लिया है। देखें- ‘‘एक जराक्षीण, मृत्यु मुख में पहुंचने वाली वृद्धा अपने सिर पर स्वर्ण आभूषण से भरा टोकरा रखे यात्रा पर निकल पड़ी, तब भी किसी चोर या लुटेरे की हिम्मत नहीं हुई कि वह बुढ़िया के पास फटक भी जाएं क्योंकि उन्हें मालूम था कि शेरशाह कितना कड़ा दंड दे सकता है।’’ शेरशाह की जो छवि उस समय बन गई थी उसका श्रेय अब्बास खां को जाता है।

शेरशाह ने प्रत्येक बड़े नगर में न्यायालयों की स्थापना की। मुसलमानों के दीवानी के मुकदमों का निर्णय काजी किया करता था परंतु फौजदारी के मुकदमों का निर्णय प्रधान शिकदार करता था। अपराध के अनुसार दंड दिया जाता था।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book