जीवनी/आत्मकथा >> अरस्तू अरस्तूसुधीर निगम
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सरल शब्दों में महान दार्शनिक की संक्षिप्त जीवनी- मात्र 12 हजार शब्दों में…
अरस्तू के साथ अन्याय होगा अगर हम इस बात को विस्मृत कर दें कि अप्रत्याशित आर्थिक स्रोतों और सहायता के बावजूद उस समय के शोध यंत्र अति सीमित थे। हमारी सभी गणितीय, प्रकाशकीय और भौतिक यंत्रों में से उनके पास, एक फुटा और कम्पास के अतिरिक्त जो कुछ उपलब्ध था वे कतई उपयुक्त नहीं थे। परंतु सभी तथ्य, जिन पर आज के विज्ञान के भौतिक सिद्धांत आधारित हैं उस समय पूर्णतया या लगभग पूर्णतया खोज लिए गए थे। अरस्तू और उसके सहायकों द्वारा जो विशाल आंकड़े एकत्र किए गए, वह विज्ञान की उन्नति का और दो हजार वर्षों तक पाठ्य पुस्तकों का आधार बने।
अरस्तू के नेतृत्व में शोध के विभिन्न आयामों का बृहत् रूप से संगठन किया गया। थियोफ्रेस्तोस ने वनस्पति विज्ञान, अरिस्तोक्सैनोस ने संगीत, मैनी ने चिकित्साशास्त्र, एवदमस ने धर्म, नक्षत्र विज्ञान और गणित संबंधी सामग्री का संकलन कर उसे व्यवस्थित रूप प्रदान किया। राजनीतिशास्त्र के क्षेत्र में स्वयं अरस्तू ने 158 यूनानी राज्यों के संविधान का अध्ययन और विश्लेषण किया।
प्लेटो से कहीं अधिक अरस्तू का लेखन था। लेकिन सभी लेखन उसका अपना नहीं था, कुछ उसके सहायकों का भी था। जिस किसी भी रचना पर उसका नाम होता उस पर उसके व्यक्तित्व की छाप होती। इन रचनाओं का लेखकीय वौशिष्ट्य स्वयं अरस्तू का होता। प्लेटो के प्रांजल डायलाग्स की तुलना में अरस्तू के प्रबंध अति सुविचारित होते जिनमें विचारों की स्पष्टता और संक्षिप्तता के लिए शैली की बलि दे दी जाती। दांते ने उसके लिए ठीक ही कहा था कि वह ‘जानकारों के बीच उस्ताद’ हैं। लगभग समस्त ज्ञान की कोई शाखा ऐसी नहीं थी जिससे वह अनभिज्ञ हो। वास्तव में सभी प्रकार के ज्ञान तक उसकी पहुंच एक परीक्षणकर्ता वैज्ञानिक के रूप में थी। यद्यपि अरस्तू ने संसार के समस्त ज्ञान को अपने कार्यक्षेत्र में ले लिया परंतु उसकी दृष्टि वैज्ञानिक बनी रही। यदि प्लेटो मूलतः गणितज्ञ था तो अरस्तू जीव विज्ञानी। प्लेटो ने ‘सहज बुद्धि’ को अविश्वसनीय कहकर नकार दिया तो अरस्तू ने उसे ज्ञान के अति महत्वपूर्ण स्रोत और भौतिक संसार को संचालित करने वाले नियमों का उद्घाटन करने वाले माध्यम के रूप में स्वीकार किया।
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