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सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :207
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10544
आईएसबीएन :9781610000000

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1971 में अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य में एलिसबरी परिवार के पास एक पालतू डॉल्फिन थी। वह परिवार वालों के साथ वाटर पोलो खेला करती थी। यदा-कदा जब छोटे बच्चों की गेंद खेलते समय पानी में गिर पड़ती, तो वह उसे उठा कर बाहर फेंक देती। बच्चों के साथ वह खूब अठखेलियां किया करती थी। एक बार एलिसबरी परिवार का एक बालक खेलते समय अचानक पानी में गिर पड़ा और डूबने लगा। जब तक परिवार के लोग उसकी सहायता के लिए प्रस्तुत होते उससे पूर्व ही उस मछली ने उसे सुरक्षित बाहर कर दिया।

कई बार डॉल्फिनें छोटी-मोटी शरारतें भी करती हैं। ऐसी ही एक मछली ब्रिटेन के आयल ऑफ मेन के एरिन बन्दरगाह में थी। उसमें लोगों की सहायता और मनोरंजन करने की दो प्रवृत्तियां थीं, पर साथ ही एक तीसरा स्वभाव यह था कि वह नाविकों से छेड़छाड़ भी किया करती थी। ´डोनाल्ड´ नामक यह डॉल्फिन जब अधिक मस्ती में आती, तो वह नावों का लंगर खोल देती थी। यदा-कदा वह उन्हें धकेल कर दूर समुद्र में ले जाती और वहां उछल-उछल कर तट पर खड़े नाविकों को यह बतलाने की कोशिश करती कि वह उसी की शरारत है।

डॉल्फिनों को यदि प्रशिक्षित किया जा सके तो सेवा-सहायता के अतिरिक्त अन्य कार्य भी वे दक्षतापूर्वक कर सकती हैं। स्पेन के दक्षिण-पश्चिम में ´ला-कोरोना´ के समुद्र तट पर डॉल्फिन मछुआरों को मछली पकड़ने में मदद करती हैं। यहां पर मछुआरों को जब मछलियां पकड़नी होती हैं, तब वे पानी में पैरों के माध्यम से एक विशेष प्रकार की लहर व मुंह से विशिष्ट ध्वनि उत्पन्न करते हैं। इन संकेतों का अर्थ समझ कर डॉल्फिनें सहायता के लिए तत्काल प्रस्तुत होती हैं। उनका झुण्ड चारो ओर से मछलियों को घेर-घेर कर उनकी ओर लाता है और मछुआरे उन्हें अपने जाल फेंक कर फंसा लेते हैं। इस प्रकार मछली पकड़ने का कार्य अत्यन्त सरल हो जाता है।

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