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श्रंगार-विलास >> वयस्क किस्से

वयस्क किस्से

मस्तराम मस्त

प्रकाशक : श्रंगार पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 1990
पृष्ठ :132
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 1220
आईएसबीएन :

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मस्तराम के मस्त कर देने वाले किस्से


मैंने बोला-मामी अब मैं क्या करूँ? मेरा कामांग तो सनसना रहा है, इसका क्या किया जाये। उसने मुझे सब समझाया कि कैसे मैं अपने कामांग को उसके कामांग में डालूँ और आगे-पीछे करूँ, वैसे तो मैं धुरंधर था, बस नाटक कर रहा था। अब मैं शुरू हो गया। जब हम एक दूसरे में समाये हुए थे उसी बीच अचानक मामी बहुत जोर से काँपने लगी।
मैं बोला–क्या हुआ?
वो सिसकारियों भरती हुई बोली–कुछ नहीं!
मैं एक सेकेण्ड के लिए रुक गया और ।
उसने तुरंत आँखे खोल कर मुझे देखा और बोली–रुको मत।
मेरी उत्तेजना भी चरम सीमा पर थी। घड़ी का तो याद नहीं, पर शायद 4-5 मिनटों बाद या फिर दस मिनट तक हमने संभोग किया।

इस बीच वह दबी आवाजों में सिसकारियां भरती रही, “आह...ओह. ...हा..इ.इ.इ.मां......ओह.....।” अब उनकी और मेरी सांसें फूल गई थी।
कुछ मिनटों के लिए हम दोनों एक दूसरे से बहुत ही जोर से चिपके हुए अपने अंदर चलने वाली आँधी के थपेड़ों से निपटते रहे। मैंने अपना वीर्य उनके कामांग के दलदल में ही उड़ेल दिया और उनकी कामांग से निकल कर कुछ पानी भी बाहर आ चुका था, सब जगह बारिश के बाद की चिप-चिप थी। थक कर हम बेड पर बेसुध हो कर पड़े रहे और एक-डेढ़ बजे तक आराम किया, और फिर एक बार जुट गये।
पहली बार तो हम दोनों जल्दी ही झड़ गये थे पर अब जाकर हमको तसल्ली हुई। थोड़ी देर उसके नंगे बदन की गर्मी लेने, गदराई मुसम्बियों के साथ खेलने के बाद और होंठ चूसने के बाद मैं कमरे से चला गया ताकि घर वालों को शक न हो। अगले दिन जब वो अकेली कपड़े धो रही थी तो मैंने उसकी साड़ी में हाथ देकर उगंली उसकी कामांग में घुसा दी।
इस पर बोली-एक रात में ही इतना बिगड़ गये और अब तक प्यास नहीं बुझी? पता है अब तक कितना दर्द कर रही है।
मैं बोला-लाओ, अभी चाट कर ठीक किये देता हूं... वो बोली-रहने दो कोई देख लेगा।
मैंने बाथरूम बंद कर उसकी कामांग चाटी और मस्त उसकी कामांग का पानी एक बार फिर से बाहर निकाल दिया, और उसने भी मेरा कामांग चूसा।
वह बोली–मुझे को कल रात से बार-बार सिहरन हो रही है। सच में तुमने क्या कर दिया।
मैं बोला तो फिर आज रात को भी कुश्ती हो जाए, नहीं कल तो मामा आ जायेगें। और उस रात भी मैंने उसकी गदराई कामांग और सौंदर्य के यौवन का जी भर के मजा लिया और एक सवाल भी किया कि क्या इससे पहले किसी ने उसके कामांग पर मुँह नहीं लगाया था?
तो उसका जवाब था–हमने कभी सोचा ही नहीं। मैं तो कुछ अधिक करती नहीं जो ये करते हैं वही होता है। मेरी सहेली ने शादी से पहले बताया था कि शुरुआत में तुम ज्यादा अकल मत लगाना। नहीं तो लोग तुम्हारे बारे में उल्टा-सीधा सोचेंगे। अब तुम्हारे मुँह लगाने के बाद पता चला कि कामांग इतना सुखदायी मजा भी देता है। उस दिन के बाद जब भी मौका मिलता कम से कम मैं और मामी को एक दूसरे के मुँह से भरपूर आनन्द देते।
(समाप्त )

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