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हिंदी के व्याकरण को अधिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक
विस्मयादिबोधक
विस्मयाधिबोधक वे शब्द हैं, जो विस्मय (आश्चर्य), हर्ष, शोक, व्यथा, घृणा आदि
मनोभावों के उद्गार को द्योतित करते हैं, जैसे — अरे, ओह, हाय आदि। ये उद्गार
प्रायः अपने आप मुँह से निकल जाते हैं और इनका उद्देश्य सुननेवाले को कोई
सूचना देना नहीं होता है (इसलिए अकेले में भी ये बोले जाते हैं)। इन उद्गारों
का वर्णऩ नीचे किया जा रहा है:
विस्मय (आश्चर्य): | हैं, अरे, क्या |
हर्ष-उल्लास: | वाह, आह, क्या खूब, बहुत अच्छा ... |
प्रोत्साहन-प्रशंसा: | शाबाश, बहुत सुंदर ... |
व्यथा-पीड़ा: | हाय, ओफ., ओह, उफ., हे राम ... |
समवेदना: | हाय, राम ... राम, तौबा-तौबा ... |
घृणा: | छिः, छिः छिः ... |
तिरस्कार, दूर हटाना: | दुर, हट, हश, ओफ, धिक्कार |
चेतावनी: | बचो, होशियार, अरे, हटो ... |
संबोधन, आह्वान: | हे, अजी ... |
इनकी चर्चा आगे पाठ 12 में लघु वाक्य के रूप में भी की जाएगी।
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