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हिंदी के व्याकरण को अधिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक
पदक्रम संबंधी नियम
वाक्य पदों और पदबंधों से बनता है। वाक्य के साँचे में पदों का क्या क्रम हो,
इसके कुछ निश्चित नियम हैं –
1. प्रायः कर्ताप्रद वाक्य में सबसे पहले आता है और क्रियापद सबसे अंत में –
भिखारी आ रहा है।
सूर्योदय हुआ।
2. संबोधन और विस्मय सूचक पद वाक्य के प्रारंभ में कर्ता से भी पहले आते हैं
–
अरे! भिखारी आ रहा है।
अहा! सूर्योदय हुआ।
3. कर्मपद कर्ता और क्रियापदों के बीच रहता है –
गोकुल पाठ पढ़ाता है।
बच्चे ने गीत सुनाया।
4. संबंध कारक अपने संबंधी शब्द से पूर्व आता है –
भिखारी के बच्चे ने कबीर का पद सुनाया।
वह तुम्हारा नाम पूछ रहा था।
5. प्रश्नवाचक पद प्रश्न के विषय से पूर्व आता है –
कौन खड़ा है? (कर्ता पर प्रश्न)
तुम क्या खा रही हो? (कर्म पर प्रश्न)
वह कैसे आया? (रीति पर प्रश्न)
6. कर्ता और कर्म को छोड़ कर शेष सभी कारक कर्ता – कर्म के बीच आते हैं। एक
से अधिक कारक रूप होने पर ये उलटे क्रम में (पहले अधिकरण) रखे जाते हैं –
मजदूर खेत में रहट से सिंचाई कर रहे हैं।
छात्र मैदान में अपने मित्रों के साथ क्रिकेट खेलने लगे।
7. पूर्वकालिक क्रिया, क्रिया से पहले आती है –
कल पढ़कर आइए।
कल पाठ पढ़कर आइए।
8. न या नहीं का प्रयोग निषेध के अर्थ में हो तो क्रिया से पूर्व और आग्रह के
अर्थ में हो तो क्रिया के बाद होता है –
मैं नहीं जाऊँगा।
तुम जाओ न।
9. महत्वपूर्ण है कि वाक्य के विभिन्न पदों में ऐसी तर्कसंगत निकटता होनी
चाहिए, जिससे वाक्य द्वारा संप्रेषित अर्थ स्पष्ट हो –
फल बच्चे को काटकर खिलाओ।
गर्म चाय का दूध स्वास्थ्यवर्द्धक होता है।
उपर्युक्त दोनों वाक्यों का अर्थ अटपटा और उपहासस्पद है, अतः उचित क्रम होगा
– बच्चे को फल काटकर खिलाओ।
गाय का गर्म दूध स्वास्थ्यवर्द्धक होता है।
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