मूल्य रहित पुस्तकें >> उपयोगी हिंदी व्याकरण उपयोगी हिंदी व्याकरणभारतीय साहित्य संग्रह
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हिंदी के व्याकरण को अधिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक
3. भाषा परिवार और भारतीय भाषाएँ
जिस प्रकार मनुष्यों का परिवार होता है, उसी प्रकार भाषाओं का भी परिवार होता
है। किसी एक भाषा-परिवार की भाषाओं का जन्म किसी एक मूल भाषा से हुआ माना
जाता है। समय के साथ-साथ एक भाषा बोलने वाली कई जातियाँ विश्व के अलग-अलग
क्षेत्रों या देशों में जाकर बसती चली गईं, जिससे उनकी भाषाओं में कहीं कम,
कहीं ज्यादा परिवर्तन आता चला गया और इतिहास के क्रम में कई नई भाषाएँ बनती
चली गई। ऐसी भाषाएँ जो एक ही वंश या मूल भाषा से निकलकर विकसित हुई या फैली
हैं, एक भाषा-परिवार का निर्माण करती हैं। फिर उनके भी उपपरिवार बनते चले
जाते हैं। हिंदी तथा उत्तर भारत की अधिकाँश भाषाओं (बांग्ला, गुजराती,
पंजाबी, मराठी) का मूल स्रोत संस्कृत है। इसी प्रकार द्रविड़ कुल में मुख्य
भाषाएँ हैं – तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़।
4. उत्तर भारतीय भाषा-परिवार
हिन्दी उत्तर भारतीय भाषा परिवार की एक महत्त्वपूर्ण शाखा है, जिसका
प्राचीनतम रूप हमें वैदिक संस्कृत में सुरक्षित मिलता है। वैदिक संस्कृत से
आधुनिक युग की भारतीय भाषाओं तक आने में इसे कई चरणों से होकर गुजरना पड़ा–
1. वैदिक संस्कृत
2. लौकिक संस्कृत
3. पालि और प्राकृत
4. अपभ्रंश
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