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उपयोगी हिंदी व्याकरण

भारतीय साहित्य संग्रह

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 12546
आईएसबीएन :1234567890

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हिंदी के व्याकरण को अधिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक

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(क)    जब कभी द्रव्यवाचक संज्ञा शब्द बहुवचन के रूप में द्रव्य के प्रकारों का बोध कराता है, तब वह जातिवाचक संज्ञा बन जाता है — यह फर्नीचर कई प्रकार की लकड़ियों से बना है। इसी प्रकार समूहवाचक जब बहुत-सी समूह इकाइयों को प्रकट करते हैं, तब बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं, जैसे —

दोनो सेनाएँ आपस में बड़े जोरों से लड़ीं।
इस मोहल्ले में ईसाइयों के चार परिवार रहते हैं।

(ख)    जब कभी भाववाचक संज्ञा शब्द बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं, तब वे जातिवाचक संज्ञा बन जाते हैं, जैसे —

बुराइयों से सदा बचो।
आपस में उनकी दूरियाँ बढ़ती जा रही हैं।

(ग)    कुछ भाववाचक शब्द मूल शब्द हैं, जैसे — प्रेम, घृणा आदि, किन्तु अधिकांश भाववाचक शब्द यौगिक होते हैं:

विशेषण से — अच्छाई, बुराई, मुटापा, लघुता, गरीबी, मिठास, गंदगी आदि।
संज्ञा से — लड़कपन, बुढ़ापा, मनुष्यता, दोस्ती, पंडिताई आदि।
सर्वनाम से — अपनापन, ममत्व, अहंकार, स्वत्व आदि।
क्रिया से — चढ़ाई, पढ़ाई, घबराहट, बनावट, आदि।
अव्यय से — धिक्कार, निकटता, दूरी आदि।

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