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उपयोगी हिंदी व्याकरण

भारतीय साहित्य संग्रह

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 12546
आईएसबीएन :1234567890

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हिंदी के व्याकरण को अधिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक

लिंग


हिंदी में दो लिंग — पुंलिंग और स्त्रीलिंग हैं। हिंदी में लिंग व्याकरणिक पहचान है, प्रत्येक संज्ञा शब्द को पुंलिंग और स्त्रीलिंग — इन दोनों में से किसी एक का होना अनिवार्य है, क्योंकि संज्ञा के लिंग (व्याकरणिक लिंग) के अनुसार विशेषण और क्रिया के रूप चलते हैं (लड़का पढ़ता है, लड़की पढ़ती है, अच्छा लड़का, अच्छी लड़की)।

लिंग की समस्या मुख्य रूप से जड़ वस्तुओं, जैसे — पहाड़, नदी, हवा, दही, घी आदि में है। इन सब में पुंलिंग (पुरूष जाति) या स्त्रीलिंग (स्त्री जाति) जैसी कोई होती नहीं है, किंतु व्याकरणिक रचना के लिए संज्ञा शब्द की पुंलिंग या स्त्रीलिंग में से किसी-न-किसी एक में होना आवश्यक है। मनुष्यों में तथा सुपरिचित जीवों में तो वास्तविक पुरूषभाव या स्त्रीभाव के अनुसार शब्द का लिंग निर्धारित हो जाता है, कुछ प्राणियों में नर या मादा पहले लगाकर पुंलिंग — स्त्रीलिंग रूप स्पष्ट किए जाते हैं, जैसे — नर भेड़िया – मादा भेड़िया। किंतु अधिकतर प्राणियों को रूढ़ि द्वारा किसी एक लिंग में निश्चित कर दिया जाता है चाहे जीवशास्त्र के अनुसार वह नर हो या मादा — कौआ पुंलिंग होता है जबकि कोयल स्त्रीलिंग, भेड़िया पुंलिंग होता है जबकि लोमड़ी स्त्रीलिंग।

उभयलिंगी शब्द

वर्तमान समाज में कुछ पद — वाची शब्द ऐसे हैं जिनमें लिंग परिवर्तन नहीं होता है, चाहे पद पर स्थित व्यक्ति पुरूष हो, चाहे स्त्री। जैसे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्री, डॉक्टर, प्रिंसिपल, मैनेजर आदि।

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