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चेतना के सप्त स्वर

डॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :156
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15414
आईएसबीएन :978-1-61301-678-7

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डॉ. ओ३म् प्रकाश विश्वकर्मा की भार्गदर्शक कविताएँ

वर्तमान की राजनीति


चमचागीरी से जा पहुंचे, वह सत्ता के गलियारे तक।
क्रमशः से बढ़ता लोकतंत्र, उजियारे से अधियारे तक।।

प्रतिपक्षी हरदम हो सभीत।
यह वर्तमान की राजनीति।।

कोई गाँधी की समाधि पर, जाके कसमें खाता है।
कोई गाँधी को गाली दे, अखबारों में छप जाता है।।

बालू पर इनकी खड़ी भीत।
यह वर्तमान की राजनीति।।

बन्द शेर रहते पिंजरे में, श्रृंगालों का पहरा है।
यहाँ पंगु है प्रशासन, और शासन भी बहरा है।।

नीति के वेश में है अनीत।
यह वर्तमान की राजनीति ।।

दिवास्वप्न दिखलाने को, जनता के सम्मुख जाता है।
वोट प्राप्त कर कुर्सी तक ही, इनका जनता से नाता है।।

स्वारथ से हर दम करें प्रीति।
यह वर्तमान की राजनीति।।

* *

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