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समय 25 से 52 का

दीपक मालवीय

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15416
आईएसबीएन :978-1-61301-664-0

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युवकों हेतु मार्गदर्शिका

13

कीमती समय

जल्दी से निर्णय लीजिए कि इस समय का क्या करना है... ।

अन्यथा समय फैसला ले लेगा कि आपका क्या करना है।

 

ये आपकी मानसिकता पर निर्भर करता है कि

"Time waste करना है  या  Time invest"

दोस्तों ! मंजिल का कारवां अभी थमा नहीं है, सफर अभी और बाकी है। अब समय हो चला है उस विषय पर बात करने का जिसका जीवन की हर उम्र से लेना देना है। वो है आपको पल-पल गिन के मिला ‘कीमती समय’। उस इंसान की कद्र कभी नहीं होगी जो वक्त की कद्र कभी नहीं करता। इस जीवन में हमें ईश्वर से फिर माँ-बाप से, और उनसे जिनके अधीनस्थ हम कुछ कार्य करते हैं, समय निश्चित सीमा में मिला है। उसी समय सीमा की महत्ता को समझकर कोई फैसला ले के उस पर अमल करना होता है नहीं तो प्रकृति का रथ समय के पहिए के साथ निरन्तर घूमता रहता है। प्रति पल, प्रति मिनट जिन्दगी को पीछे छोड़कर आगे बढ़ता रहता है। स्वामी विवेकानन्द जी का भी मत था कि ‘समय के साथ चलना सीखो। उन्होंने उनकी कर्मभूमि पर जीवन के पूरे साल युवाशक्ति के रूप में बिताए थे। उनकी हर एक सोच से युवा पीढ़ी को एक संदेश मिलता है। ये समय नाम की मोहलत है सबको सीमित मात्रा में ही मिलती है, चाहे जानवर हो या मनुष्य । देखा जाए तो ‘समय’ देवताओं के लिये भी कीमती होता है। हमें जब तक समय की ताकत का अंदाजा नहीं लगता जब तक उसे हम बर्बाद कर रहे होते हैं। किन्तु जब ये अपनी ताकत दिखाता है तो पता चलता है कि- एक मिनट की देरी से ट्रेन छूट गई, एक सेकेंड की लापरवाही से दुर्घटना हो गई या एक साल की देरी से किसी सरकारी नौकरी के काबिल नहीं बचे।

जब आप समय के बारे में गहराई से अध्ययन करेंगे तो पाऐंगे कि समय वाकई में हीरे-मोती से भी ज्यादा कीमती है। किसी थोड़े से धन को पाने के लिये हम जितना समय गंवा देते हैं उतना ही समय हम यदि उस पद के लायक बनने में लगा दें तो ऐसा ही धन आपको एक बार नहीं जिन्दगी भर मिलता रहेगा। इसीलिए वैज्ञानिकों ने भी माना है कि ‘समय’ धन-दौलत, हीरे मोती से भी ज्यादा कीमती है। कोई अगर बखूबी इसकी कीमत समझ ले तो ‘रंक से राजा’ ‘छोटे से बड़ा’ और जूनियर सीनियर से भी बड़ा बन सकता है। समय अगर ज्यादा आगे निकल जाए तो पछतावा ही हाथ में रह जाता है। इसका उदाहरण है कि कई लोग मर तक जाते हैं ज्यादा समय गंवाने में या बीमारी में देरी करने से। कई लोग कुंवारे भी रह जाते हैं विवाह में ज्यादा देरी करने से। और जीवन में बहुत पीछे भी रह जाते, देर से आँख खुलने में। समय का पहिया जैसे-जैसे आगे बढ़ता जाता है। वैसे-वैसे अपने साथ कई मौके लाता जाता है। हमें इन दोनो में ही ताल-मेल बैठा के आगे बढ़ते रहना है। यही सही निशानी है समय के साथ चलने की। इसी मुद्दे की रिसर्च में एक बार ये आंकड़े सामने आये थे कि युवा पीढ़ी का 30 प्रतिशत हिस्सा और युवा पीढ़ी के बाहर का 45 प्रतिशत लोग ही अपने देश में समय को समझ पाते हैं, बाकी के नहीं।

हमारे पिछले समय की बर्बादी ही हमारे आगे के समय का सबक बन के आती है। जिसको हम बोलते हैं ‘समय खराब चल रहा है।’ समय तो असल में हमारी सांसे होती हैं जो सबको गिन के मिलती हैं। अब सांसे कैसे खराब हो सकती हैं भला। पाँच पदार्थों से बने इस शरीर को हर चीज सीमित मात्रा में चाहिए ही चाहिए - चाहे वो आराम ही क्यों न हो।

एक निश्चित समय के लिये सभी क्रियाकलापों को बराबर समय देना एक समझदार व्यक्ति की निशानी है। जीवन के किसी विशेष पड़ाव पर जब आप कोई लक्ष्य साध लेते हैं तो फिर समय का गणित आपको बदल देना चाहिये। आपको बाकी सारे क्रियाकलापों का समय कम करके अपनी एक ‘खास’ विधा में लगा देना चाहिए। जैसे कपिलदेव का कहना है कि 4 बजे उठने का समय नहीं होता, स्टेडियम में होने का होता है।

दुनिया के महान लोगों की उपलब्धियों में इसका आधार होता है। अगर आप भी समय का हमेशा सदुपयोग करें उचित दिशा में तो निश्चित ही किसी परिणाम पर पहुँच जाओगे। जैसे एक कुर्सी के चार पैर होते हैं उनमें से एक पैर अगर टूट जाए तो कुर्सी पर बैठना सम्भव नहीं है। उसी तरह किसी भी खास उपलब्धि को पाने के लिये समय का सदुपयोग बहुत जरूरी है।

युवा पीढ़ी में बहुत पहले से समस्या बनी हुई है कि ब हुत सालों तक तो वो डिसाइड ही नहीं कर पाते कि उन्हें किस विधा में जाना है, कौन सी यूनिवर्सिटी ज्वाइन करनी है, कौन सी पढ़ाई करनी है। ये दो-तीन सालों की समय की बर्बादी आगे चल के सूद समेत देरी करवाती है। हमारे लक्ष्य को पूरा करने में आज भी यही समस्या बनी रहती है। जो लोग अभी जीवन के 20-22 वें पड़ाव पर खड़े हैं उन्हें बिल्कुल भी देर नहीं करनी चाहिए... कि ‘मेरे लिये क्या अच्छा है। मैं क्या ज्यादा से ज्यादा अच्छा कर सकता हूँ। या मुझमें ऐसी कौन सी प्रतिभा है जो मुझे बाकी से अलग करती है। ये तीनो बातों को ध्यान में रखकर ‘लक्ष्य’ निर्धारण करने में बिल्कुल भी देरी नहीं करनी चाहिए।

दोस्तों ! जब आप इतने सोच-विचार से कोई लक्ष्य निर्धारण करोगे तो ये आपके जीवन भर के लिये होना चाहिए। दिक्कतें बहुत आएंगी लक्ष्य प्राप्ति में पर इनसे डर कर आपने अपने लक्ष्य से मुँह फेर लिया तो या आपने अपना लक्ष्य बदल लिया तो जीवन में अच्छा-खासा समय बर्बाद हो जाएगा आपका और बाकी लोगों से भी आप पीछे हो सकते हो। ये भी एक बड़़ी समस्या है। आज की अधिकांश युवा पीढ़ी जिससे कि उनका कीमती समय बर्बाद होता है। इस समय में जब आप स्कूली शिक्षा या कालेज की पढ़ाई पूरी कर चुके होंगे उसी समय घर-परिवार में या दोस्तों में बहुत तरह की सलाह आपको देते हैं जीवन में क्या करने की। पर आपको सिर्फ तीन ही बातों पर ध्यान देना है जो उपरोक्त बताई गई हैं।

हम सबके जीवन में कुछ न कुछ नियम जरूर होना चाहिए जिनका हम रोज पालन करें। थोड़ा अनुशासन होना जरूरी है जिससे हम हर काम को लहजे से करें। ये नियम और अनुशासन ही हमें गलत राह पर भटकने नहीं देते तथा समय की बर्बादी से भी बचा सकते हैं। और सबसे कारगर सिद्ध होंगे ये नियम जब अपन किसी और के कहने से नहीं बल्कि स्वयं अनुशासन बनाएं, न ही किसी को दिखाने के लिये ये नियम बनाएं अन्यथा फिर समय बर्बादी और मन भटकने जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। और इसी कारण से कुछ लोग अपनी मंजिल तय नहीं कर पाते और बार-बार छोटी-छोटी नौकरियों को बदलते रहते हैं। अगर आप किसी एक ही नौकरी को दिल लगा के करोगे तो उसमें भी तरक्की सम्भव है। पर वो नौकरी आपकी सही चुनी हुई होनी चाहिए। अन्यथा आप अपने जीवन को सार्थक बनाने में और विलम्ब करते जाएंगे। समय की महत्ता हमें प्रकृति से सीखनी चाहिए। जैसे पृथ्वी का घूर्णन कभी बन्द नहीं होता, सूरज हमेशा निश्चित समय से ही निकलता है। इसका कुछ प्रतिशत भी अगर अपने जीवन में उतार लें तो जीवन सार्थक है।

यहाँ पर एक तथ्य और सामने आता है कि अपने इस कीमती समय से बहुत कीमती मान-सम्मान या गौरव प्राप्त करना चाहते हैं तो अपने शरीर को कड़े नियमों की आदत डलवाना पड़ेगी और फिर वो उसी तासीर का बन जाएगा। जैसे इस दुनिया में कुछ शीर्ष महान लोग, प्रधानमंत्री, और बड़ी कम्पनी के सी.ई.ओ. सिर्फ 4 घन्टे ही सोते हैं क्योंकि उन्होंने अपने शरीर को उसी तासीर का बना लिया है। ये सिर्फ एक उदाहरण है यदि आप ऐसा नहीं भी कर पाए तो अपने स्तर से जो अपने लिये अनुकूल रहता है आप वो छोटी-छोटी आदतें शरीर को डलवाएं जिससे आपका समय तो खराब न हो कम से कम। अगर आप कर सकते हैं तो 4 घन्टे ही सोइए, रात में देर तक काम कीजिए, हर दिन व्यस्त रहिए - उन कामों में जो अपने लक्ष्य से सम्बन्धित हैं ।

अगर आप ऐसा वाकई में करते हैं तो एक न एक दिन आपका भी उदाहरण किसी न किसी किताब में दिया जाएगा।

बन्दे तू मत समझ, समय को कमजोर ।

इसी से है तेरा प्रारम्भ, और छोर।’’


अपने आराम की सेज को, इससे रखना काफी दूर... ।

अपनी मौज में मत जाना इसे भूल... ।


ये तो समय समय की बात है... ।

तू आज इसके साथ है तो...

ये.... कल तेरे साथ है।

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लोगों की राय

Deepak Malviya

Nice beginning