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समय 25 से 52 का

दीपक मालवीय

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15416
आईएसबीएन :978-1-61301-664-0

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युवकों हेतु मार्गदर्शिका

19

मंजिल आखिर मिल ही जाती है

दोस्तों ! आपने भी जिन्दगी की किताब के ‘पहले पन्ने में कोई रमणीय सपना देखा होगा’ फिर आपने देर न करते हुए एक अच्छी और सच्ची शुरुआत की, फिर समाज की नकारात्मकता में न उलझते हुए लोगों की परवाह नहीं की और हर संभव परीक्षा दी, फिर भी आप अविराम अटल चलते रहे, ना ही सोचना बन्द किया कभी समय की कीमत को जानकर सही दिशा पकड़ी और ‘अंत में अपने मन में कुछ ठान ही लिया।’

अब तो वो समय है दोस्तों जब आपके नाम के आगे से उम्मीदार्थी और संघर्षार्थी हट जाएगा क्योंकि इतनी-इतनी उम्र के लम्बे समय के बाद आपको मंजिल मिलने वाली है वो है ‘अर्जितार्थी’ । जी हाँ, क्योंकि अब आपको सिर्फ अर्जित ही अर्जित करना है, प्राप्त करना है।

लक्ष्य का इतना लम्बा सफर तय करने के बाद मंजिल के मुख्य द्वार पर हमें कर्मफल के संघर्ष-सुमन अर्पित करना है। सफलता के इस कुण्ड में अपनी परीक्षाओं की आहुति देना है ।

फिर धीरे से खुलेगा आपकी किस्मत का दरवाजा और वही मनोरम खूबसूरत नजारा दिखेगा जो आपने इतने लम्बे सफर से पहले जिन्दगी की किताब के पहले पन्ने में सपने में देखा था। इसी नजारे को आप हर रोज आँखों की पुतलियों में सजाकर सोते थे। संवेदनशील घड़ी में भी कोई साथ छोड़ दे पर इस सपने ने कभी आपका साथ नहीं छोड़ा होगा, बस फर्क ये है कि पहले सपना देखा था तो सुबह सूरज अपनी किरणों की झाड़ू से उसे साफ कर देता था, परन्तु अब अपनी ही किरणों से उस सपने को सजा रहा है। हमने जो तरह तरह के जतन किये थे इस मंजिल को पाने की खातिर अब वहाँ सुन्दर सुमन बरस रहे हैं हमारी खातिर।

अब तिमिर-तरुण का परे हट गया-
नियति की रश्मि भर है चुकी-
शुभ ज्योत्सना की बहार है आई-
संग अपने रमण पल है लाई,
देखो चारों तरफ हर्ष बरस है रहा।
मंजिल अब मेहनत करने वालों को दुलार रही-
गोद में बैठा-सब्र के मीठे फल खिला रही।
अब वो जीवन का कठिन रस्ता नजर नहीं आता,
कर्मों के दरवाजे पर सब अदृश्य हो जाता।

दोस्तों ! अब वो समय है जब आपका भी सफलता का सूरज चमकेगा, और नाकामयाबी के सारे अंधेरे मिटा देगा। कल तक हमें जो मारते थे ताने, मजाक उड़ाते थे हमारा, अब समय हो चला है उनके होश उड़ाने का। हमारी सफलता की चमचमाती हुई चमक उनके तानों को फीका कर देगी। उन लोगों की आँखें चकाचौंध हो जाएंगी अब उस लाल बत्ती से जिसमें कोई गली का लाल अधिकारी बन के आता है। या छोटा मोटा धंधा करने वाला मोहल्ले में कोई चमचमाती कार लाता है। हमारी ये चमक ही उनमें अब अफसोस के भाव पैदा करेगी। और चलेंगे जब हम सर उठा के तो उनकी आँखें नीची होंगी।

ये कहीं नहीं लिखा है कि मेहनत करने वालों की हार होती है बल्कि हर जगह लिखा है मेहनत करने वालों की ही जीत होती है। आप एक कदम भी बढ़ो तो प्रकृति आपके साथ है पर आप कोशिश ही न करो ये तो गलत बात है। हमारे इसरो का सबसे महत्वाकांक्षी ऑपरेशन ‘चन्द्रयान-2’ का जब लैंडर का रोवर से संपर्क टूट गया था तब इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने हिम्मत बाँध कर बोला था कि संपर्क टूटा है हौसला नहीं। ऐसे ही यदि जिन्दगी में कभी हमारी मंजिल का संपर्क हमारे सपनों से टूट भी जाए तो हमको भी धीरज रखते हुए यही कहना है कि संपर्क टूटा है पर हौसला नहीं, संसाधन टूटे हैं हिम्मत नहीं। कभी नहीं डरना है, कभी नहीं हार मानना है बस हमेशा अटल, अविचल, अविराम चलते रहना है।

दोस्तों ! ‘ समय 25 से 52 का ’ में अधिकांश 60 प्रतिशत उल्लेख उन संघर्ष करने वालों के लिये है जो दिन में 2 बार या 3 बार उन कोचिंग संस्थानों में जाते हैं जहाँ वो अच्छी नौकरी पाने के लिये संघर्ष की रोज नयी परिभाषा बनाते हैं। ऐसी परिभाषा जिसमें उनकी कभी चप्पल घटती है तो कभी रिजल्ट। दुनिया के उस सुनहरे पद को पाने के लिये, अपना पल-पल उसमें झोंक रहे हैं। जब वो हर दिन ऐसी मेहनत करते हैं तो पल-पल उन्हें कोई विषम खयाल आता है या हर पल कोई नयी समस्या आती होगी, जैसी कि इस पूरी पुस्तक में आगे बताई होगी। इस पुस्तक में लेखक ने बताया है कि कभी संघर्ष की जलन पर ‘सब्र का मरहम’ लगाना तो कभी साफ-स्वच्छ संकल्प पर नकारात्मकता के छींटे नहीं पड़ने देना। इन सब बातों को टाल कर जब आप मन में कोई चीज ठान ही लोगे तो ‘मंजिल आपको मिल ही जाएगी।

पढ़ाई में कुछ हासिल करने वाले या अच्छी नौकरी की चाह रखने वालों आपको और हर दिन चौकन्ना होने की जरूरत है हर दिन आपको दुगनी एनर्जी से बिस्तर से उठना है और तिगुने रिजल्ट ‘ दिन भर का अवलोकन ’ के साथ रात में सोना है। क्योंकि जितने पद की भर्ती निकलती है उसके 5 गुने आवेदन करते हैं और परीक्षा भी देते हैं। और आगे समय के चलते 10 गुने भी हो सकते हैं। ये स्थिति है आज की पर इस स्थिति से न डरते हुए हर दिन खरी मेहनत और सच्चा संघर्ष करना है। जब तक आदमी इन दो बातों से वास्तव में गुजरता है तो जिन्दगी में कुछ इच्छित पाकर ही रहता है। कभी खाली हाथ रह जाता लकीरों पर उपलब्धि का वजन लेकर ही वापस जाता है। कंधों पर मनचाही जिम्मेदारी लेकर ही वापस जाता है। बस मेरी यही सलाह है आप सबको कि आप अगर कोई लक्ष्य ले के चल पड़े हैं कुछ महीने उसमें लगा दिए हैं तो उसे बीच में न छोड़ें अन्यथा आपका कीमती समय और मनोबल आपसे छिन जाएगा।

और प्यारे छात्रों, आप सब के लिये मेरी यही आशा है कि ‘आपकी जिन्दगी की किताब में इस किताब का चाहे कोई पन्ना जुड़े या न जुड़े पर ये पन्ना जरूर जुड़ जाए जिसमें मंजिल आपको मिल ही जाती है।’

और इस पुस्तक में 20 प्रतिशत उन संघर्ष करने वालों का उल्लेख है जो 5.00 बजे ही इस पाँच तत्वों से बने शरीर को मैदान पर ले आते हैं 5 सेमी. का मेडल जीतने के लिये। झलकते हुए पसीने और भरसक मेहनत की जरूरत होती है - एक खेल के मैदान में, खिलाड़ी के जीवन में। थकान को अपनी साँसों पर हावी होने से बचाना पड़ता है। बीच वाले गोल केन्द्र में निशाना लगाने के लिये, इस गोल दुनिया में बहुत लोग मिलेंगे जो हमें गोल-गोल नचाऐंगे, उन सब से हमें बचना है जब हम लक्ष्य पर निशाना लगा पाऐंगे। अर्थात हमें उन सब लोगों के तानों को अनदेखा करना है जो अपने सपनों के बीच दीवार बने खड़े हैं। अगर वास्तव में आपने कुछ ठान ही लिया है मन में तो एक खिलाड़ी का जीवन तो ऐसा होता है कि एक पल भी एक सेमी. यदि हमने पैर पीछे रखा तो कोई दूसरा रेस जीतेगा। आपको ओलंपिक में मानो कोई भार उठाना है तो उससे दुगने भार का आत्मविश्वास साथ में उठाना, यकीन मानिए आपसे अच्छे ढंग से कोई और भार नहीं उठा पाएगा। जब भी आपको ऊँची कूद कूदना पड़े आसमान सा हौसला रख के कूदना जीत पक्की आपकी ही होगी। अगर आपने ये ठान ही लिया है कि इस कर्मभूमि पे आपका ज्यादा से ज्यादा वक्त खेल भूमि पर बीते तो फिर से एक अच्छी और सच्ची शुरुआत करो, दूसरों की कामयाबी से भी सीखो मंजिल आपको मिल ही जाएगी।

इस देश में ऐसे भी कई लोग या युवक-युवती हैं जो अपने घरेलू उत्पाद को नेशनल लेबल पर लेके जाना चाहते हैं। अपने देशी हुनर को विदेशों तक लेके जाना चाहते हैं। बाकी का 20 प्रतिशत उल्लेख इस पुस्तक में उन्हीं संघर्ष करने वाले लोगों के लिये किया है जो छोटे से व्यापार में आ रही तमाम मुश्किलों को पार करते हुए, अपने उत्पाद को घर-घर पहुँचाना चाहते हैं। लोगों की जरूरतों का सामान सस्ते और सुलभ तरीके से उपलब्ध कराना चाहते हैं। उन सब छोटे उद्यमी-व्यापारियों से मैं कहना चाहता हूँ कि अगर आपको एक सही दिशा में छोटी-छोटी सफलता मिल रही है तो इसी दिशा में कुछ बड़ा करने का ठान लो। और फिर पुरानी जिन्दगी को पीछे मुड़कर नहीं देखना। शुरू में  कीमत कम रखो और और गुणवत्ता ज्यादा रखो ये मंत्र है मार्केट में तेजी से फैलने का, और लोगों के घरों में अपने प्रोडक्ट की जगह बनाने का। जब आपका उम्मीद से ज्यादा मुनाफा होने लगे तो दाम चाहे बढ़ा सकते हैं, लेकिन तब तक नहीं।

आपके इस क्षेत्र में आपके लिये सबसे ज्यादा जरूरी ये है कि आप स्थानीय सरकार या केन्द्र सरकार की योजनाओं पर ध्यान दें क्योंकि समय-समय पर इससे सम्बन्धित कुछ योजनाएं आती रहती हैं उनका भरपूर लाभ उठाकर दुगनी मेहनत के साथ, तिगुनी कमाई आप कर सकते हो।

दोस्तों ! आप इस रास्ते पर छोटी-छोटी रिस्क ले सकते हैं जिससे आपको अपनी क्षमता का आकलन होता जाएगा। शुरुआती दौर में कभी भी बड़ा रिस्क न लें। बिना मेहनत करे किसी की जय-जयकार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। जब पहाड़ हिलाने वालों को मंजिल मिल जाती है चोटी चढ़ने वालों की जीत हो जाती है तो आप भी पूरे मन, कर्म, वचन से अपने कार्य में लगे रहो, मंजिल आपको आखिर मिल ही जाएगी।

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लोगों की राय

Deepak Malviya

Nice beginning