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सूक्ति प्रकाश

डॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15420
आईएसबीएन :978-1-61301-658-9

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1000 सूक्तियों का अनुपम संग्रह


बुद्धि-बल बाहर देख कर चलता है, आत्म-बल भीतर देख कर।

- अज्ञात
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जिसने ज्ञान को आचरण में उतार लिया उसने ईश्वर को ही मूर्तिमन्त कर लिया।

- विनोबा
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मन भर चर्चा से कण भर आचरण अच्छा है।

- विनोबा
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चाहे गलत सोचो, लेकिन हमेशा स्वयं सोचो।

- लैसिंग
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आचार्य वे हैं जो अपने आचार से हमें सदाचारी बनावें।

- गाँधी
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सारी दुनिया को तिनके के समान जानना आसान है तमाम शास्त्रों का ज्ञान पाना आसान है, परन्तु आत्म-श्लाघा को निकाल बाहर करना बहुत दुश्वार है।

- रमण महर्षि
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हे जीव, शुद्ध आत्मा से अलग और कोई तीर्थ मत जान, कोई गुरु मत सेव, कोई देव मत मान, तू निर्मल आत्मा को ही अनुभव कर।

- योगीन्द्रदेव
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जब तुम बाहरी चीजों को पकड़ना और अपनाना चाहते हो, वे तुम्हें छल कर तुम्हारे हाथ से निकल भागती हैं, लेकिन जिस क्षण तुम उनकी तरफ पीठ फेर दोगे और प्रकाशों के प्रकाश स्वरूप अपनी आत्मा की ओर मुख करोगे उसी क्षण परम कल्याण-कारक अवस्थाएँ तुम्हारी खोज में लग जायेंगी, यही दैवी-विधान है।

- स्वामी रामतीर्थ
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गुलाम और आजाद में यही फर्क है कि गुलाम मरने के लिए जीता है मगर आजाद जीने के लिए मरता है, गुलाम की जिंदगी मौत के बराबर है, मगर आजाद की मौत ही जिंदगी है।          

- अज्ञात
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दुनिया आश्चर्यजनक चीजों से भरी हुई है, पर आदमी से बड़ा कोई और आश्चर्य नहीं।

- सोफोकिल्स
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दो किस्म की आजादियाँ हैं। झूठी, जहाँ कोई जो चाहे करने को आजाद है, और सच्ची, जहाँ वह वही करने के लिए आजाद है जो कि उसे करना चाहिए।

- किंग्सले
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अपनी आजादी को बुद्ध, ईसा, मुहम्मद या कृष्ण के हाथों न बेच दो।

- स्वामी रामतीर्थ
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किसी को मेहरबानी मांगना अपनी आजादी खोना है।

- गाँधी
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आजादी की तड़प आत्मा का संगीत है।

- सुभाषचन्द्र बोस
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मोटी चर्चीली गुलामी से दुबली-पतली आजादी ही अच्छी।

- एक कहावत
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आँखों के लिए जो रोशनी है, फेफड़ों के लिए जो हवा है, हृदय के लिए जो प्रेम है, आत्मा के लिए वही आजादी है।

- आर० जी० हंगरसोल
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बन्दी राजा से स्वतंत्र पक्षी होना अच्छा।

- एक डेनिश कहावत
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आजादी के माने हैं, खुद का खुद पर काबू।

- हीगल
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आदर्श आदमी व्यवहार-कुशल होता है।

- समर्थ गुरु रामदास
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शिक्षा को आजीविका का साधन समझ कर पढ़ना नीच-वृत्ति कहा जाता है; आजीविका का साधन तो शरीर है। पाठशाला तो चरित्र गठन का स्थान है। विद्यार्थियों को यह पहले से जान लेना जरूरी है कि हमें अपनी आजीविका को बाहुबल से प्राप्त करना है।

- गाँधी
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साँपों को अपना भोजन-वायु, बिना मांगे मिल जाता है घास खानेवाले वन में भी सुख से रहते हैं  लेकिन, संसारी मनुष्यों की जीविका ऐसी है कि उसे ढूँढ़ते रहने में ही उनके तमाम गुण समाप्त हो जाते हैं।

- संस्कृत सूक्ति
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