सभी आयुवर्ग के पाठकों के लिये प्रेरक एवं मार्गदर्शक कहानियों का अनुपम संग्रह

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प्रेरक कहानियाँ

डॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :240
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15422
आईएसबीएन :978-1-61301-681-7

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सभी आयुवर्ग के पाठकों के लिये प्रेरक एवं मार्गदर्शक कहानियों का अनुपम संग्रह

ईश्वर सब देखता है

एक व्यक्ति अपने पुत्र को रात्रि शयन से पूर्व कुछ अच्छी कहानियाँ जरूर सुनाया करता था। उसने एक दिन अपने पुत्र से कहा, "बेटा! एक बात कभी नहीं भूलना कि ईश्वर सब जगह है और वह सब देखता है।"

यह सुन कर गोपाल इधर-उधर देखकर फिर बोला, "पिताजी! आप कह रहे हैं कि ईश्वर सब जगह है, किन्तु मुझे तो वह कहीं दिखाई नहीं दे रहा है।"

"हम भगवान को देख नहीं सकते, किन्तु वे हर जगह हैं और हमारे सब कामों को देखते रहते हैं।"

पता नहीं गोपाल को सन्तोष हुआ कि नहीं, किन्तु गोपाल ने इस बात को याद कर लिया।

कुछ दिनों बाद सूखा पड़ गया। दातादीन के खेतों में कुछ अनाज पैदा नहीं हुआ। एक दिन वह रात के अंधेरे में गोपाल को लेकर गाँव से बाहर चला गया। वह दूसरे किसान के खेत से अन्न चोरी से काट कर लाना चाहता था। गोपाल को खेत की मेंड़ पर खड़ा कर उसने कहा, "तुम यहाँ खड़े होकर चारों ओर देखते रहो, यदि कोई आये या देखे तो मुझे संकेत कर देना।"

दातादीन खेत में गया और जैसे ही उसने अन्न काटना आरम्भ किया, गोपाल चिल्ला उठा, "पिताजी! रुकिये।"

"क्यों, कोई देख रहा है क्या?"

"हाँ, देख रहा है।"

दातादीन खेत से निकल कर मेड़ पर आ गया। उसने चारों ओर दृष्टि दौड़ाई। उसे कहीं कोई नहीं दिखाई दिया तो पुत्र से पूछने लगा, "कहाँ है, कौन देख रहा है?"

गोपाल ने कहा,"आपने ही तो कहा था कि ईश्वर सब कहीं है और वह सब देखता है तो वह क्या आपको खेत काटते नहीं देखेगा?"

पुत्र की बात सुन कर दातादीन लज्जित हो गया। उसने चोरी का विचार छोड़ दिया और पुत्र को लेकर घर लौट आया।

बच्चों को दी हुई सीख पहले स्वयं स्मरण रखने का अभ्यास करना चाहिए, अन्यथा दातादीन की भाँति ही लज्जित होना पड़ सकता है।  

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