सभी आयुवर्ग के पाठकों के लिये प्रेरक एवं मार्गदर्शक कहानियों का अनुपम संग्रह

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प्रेरक कहानियाँ

डॉ. ओम प्रकाश विश्वकर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :240
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15422
आईएसबीएन :978-1-61301-681-7

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सभी आयुवर्ग के पाठकों के लिये प्रेरक एवं मार्गदर्शक कहानियों का अनुपम संग्रह

परिधान और प्रतिभा

जौर्ज बर्नार्ड शॉ बड़े प्रबुद्ध लेखक और विचारक हुए हैं। एक बार किसी महिला ने उनको डिनर पर आमन्त्रित किया। उन दिनों वे काफी व्यस्त थे, फिर भी उन्होंने उसका निमन्त्रण स्वीकार कर लिया।

जिस दिन का निमन्त्रण था, उस दिन शॉ सचमुच बड़े व्यस्त थे। फिर भी किसी प्रकार कार्य समाप्त कर के वह निर्धारित समय पर रात्रि-भोज देने वाली महिला के घर पर पहुँच गये। निमन्त्रण देने वाली महिला उन्हें देख कर बड़ी प्रसन्न हुई। लेकिन अगले ही क्षण उसके मुख पर निराशा के भाव छा गये। शॉ यह सब भाँप रहे थे लेकिन कुछ नहींबोले।

महिला की निराशा का कारण वास्तव यह था कि बर्नार्ड शॉ बहुत साधारण वस्त्रों में उपस्थित हुए थे।

महिला ने उनके परिधान को देखा तो शॉ को बोले, "क्या करूँ, क्षमा चाहता हूँ। मैं अपने काम में इतना व्यस्त था कि मुझे जब आपके निमन्त्रण की याद आयी तो जैसा वहाँ बैठा था, सीधा उठ कर यहाँ चला आया हूँ। कपड़े बदलने का समय ही नहीं मिला।"

महिला बड़ी हठी थी जिसे अंग्रेजी में अरिस्टोक्रेट कहते हैं। बोली, 'कृपया आप कार में बैठ कर घर जाइए और अच्छे वस्त्र पहन कर आइये।"

"ठीक है, मैं जाता हूँ और अभी आता हूँ।" यह कहकर बर्नार्ड शॉ घर चले गये और जब लौट कर आये तो उन्होंने बड़े मूल्यवान वस्त्र धारण किये हुए थे।

वहाँ पर कुछ अन्य लोगों को भी बुलाया गया था। 'डिनर' की मेज पर बैठे तो बर्नार्ड शॉ ने अपने वस्त्रों को आइसक्रीम तथा दूसरी खाने की वस्तुओं से पोत दिया। लोगों ने देखा तो आश्चर्य करने लगे। बर्नार्ड शॉ वस्त्रों को पोतते हुए कहते भी जा रहे थे, "खाओ, मेरे वस्त्रों खाओ। निमन्त्रण तुम्हें मिला है, तुम ही खाओ।''

सबलोग एक साथ बोल पड़े, "यह आप क्या कर रहे हैं?"

शॉ ने उत्तर दिया,"मित्रो! मैं वही कर रहा हूँ, जो मुझे करना चाहिए। यहाँ निमन्त्रण मुझे नहीं मेरे कपड़ों को मिला है इसलिए आज खाना मेरे कपड़े ही खाएँगे।"

उनका उत्तर सुनकर पार्टी में सन्नाटा छा गया। निमन्त्रण देने वाली महिला बड़ी लज्जित अनुभव कर रही थी।

सब समझ रहे थे-व्यक्ति का मूल्यांकन उसके परिधान से नहीं उसकी प्रतिभा से होता है।  

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