नई पुस्तकें >> गीले पंख गीले पंखरामानन्द दोषी
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श्री रामानन्द 'दोषी' के काव्य-संग्रह ‘गीले पंख' में 33 कविताएं हैं…
रामानन्द 'दोषी'
हिन्दी काव्य-कक्ष को इधर जिन महाभाग कवियों ने अपनी सतत साधना से सुसज्जित किया है, श्री रामानन्द 'दोषी' का स्थान उनकी गौरवमयी अग्रिम पंक्ति में है। थोड़ा, किन्तु सारगर्भित लिखना उनका स्वभाव है। उनके गम्भीर चिन्तन और मनन का प्रतिबिम्ब उनकी कृतियों में बड़ी सजीवता से विद्यमान रहता है। गहरे पैठकर भाव-मुक्ता खोज लाने और मँजी मुहाविरेदार सहज सुबोध भाषा में उसे प्रस्तुत करने का उन-जैसा श्लाघ्य गुण कम देखने में आएगा। बहु मुखी प्रतिभा के धनी यह कलाकार एक कुशल पत्रकार, मार्मिक कहानीकार और पैने व्यंग्यकार भी हैं। उनके तेजोमय व्यक्तित्व की छाप उनकी कृतियों पर इतनी गहरी है कि प्रत्येक क्षेत्र में उनका लेखन सबसे सर्वथा अलग 'बोलता' है। यही कारण है कि ख्याति के लिए उन्हें द्वार-द्वार डोलना नहीं पड़ा, अपितु यश-श्री उनकी चेरी होकर स्वयं उनके द्वार आई है।
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