नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
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यह कैसा देश है
यह कैसा देश है
कैसे कैसे चलन
अंधों का कजरौटे करते अभिनन्दन।
तितली के पंखों पर
बने बहीखाते
खुशबू पर भी पहरे
बैठाये जाते।
डरा हुआ रवि गया चमगादड़ की शरण।
लिखे भोज पत्रों पर
झूठ हलफनामे
सारे आन्दोलन हैं
केवल हंगामे।
कुत्ते भी टुकड़ों का दे रहे प्रलोभन।
चाटुकारिता से
सार्थक होती रसना
क्षुब्ध चेतना मेरी
उफ़ गैरिक-वसना
ज्वालामुखि बेच रहे कुल्फियाँ सरीहन।
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