नई पुस्तकें >> सुबह रक्त पलास की सुबह रक्त पलास कीउमाकांत मालवीय
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सुबह रक्तपलाश की - उमाकान्त मालवीय का तीसरा कविता संग्रह है…
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टालो भी यार
टालो भी यार
और मुँह ढक कर सो जाओ।
बड़े-बड़े दर्शन
औ' कर्म बहुत छोटे
क्या हुआ नहीं पहने
अगर सौ मुखौटे।
बैठे ठाले ही कोई गीत गुनगुनाओ।
शब्द अवज्ञा करते
अर्थ नहीं ढोते।
दो दो मिलकर हरदम
चार नहीं होते।
जिद करें चुनौतियाँ
तो पहेलियाँ बुझाओ।
राजपथों पर
सिर धुनती जययात्रायें
दिशा शूल की मारी
कहो कहाँ जायें।
जागते सवाल ?
नींद की गोलियाँ खिलाओ।
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