नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
|
|
‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
43
वो कमज़ोर जिनकी कोई छत नहीं है
वो कमज़ोर जिनकी कोई छत नहीं है
उन्हें बादलों से शिक़ायत नहीं है
लुटाये बरस, रख लिये चन्द लम्हे
ये है शाहख़र्ची, किफ़ायत नहीं है
जो ये दर्द की मंज़िलें दिख रही हैं
कमाई है अपनी, विरासत नहीं है
अगर झूठ बोलूँ तो खुशियों से खेलूँ
मगर क्या करूँ मेरी आदत नहीं है
न फूलों की बातें, न खुशबू के क़िस्से
ये होगा किसी का मेरा ख़त नहीं है
0 0 0
|
लोगों की राय
No reviews for this book