नई पुस्तकें >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
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ये तमाशा है सब लकीरों का
ये तमाशा है सब लकीरों का
मुन्तज़िर है शिकार तीरों का
गाल अपने बजाओ महफ़िल में
क्या करोगे मियाँ मँजीरों का
जुल्म पर, क़ैद पर, हुकूमत पर
कितना एहसान है असीरों का
कंकरी कोहेनूर कर डालें
मर्तबा है बड़ा फ़कीरों का
कौड़ियों की जिन्हें तमीज़ नहीं
भाव तय कर रहे हैं हीरों का
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