नई पुस्तकें >> आकृति देखकर मनुष्य की पहिचान आकृति देखकर मनुष्य की पहिचानश्रीराम शर्मा आचार्य
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लोगो की आकृति देखकर उनका स्वभाव पहचानना मनोरंजक तो होता ही है, परंतु इससे अधिक यह अनुभव आपको अन्य लोगों से सही व्यवहार करने में काम आता है।
बाल
बाल प्राय: हर एक पशु पक्षी के शरीर पर होते हैं। प्रकृति ने इन्हें भीतरी शक्ति की रक्षा के लिए बनाया है। अन्दर की गर्मी को सुरक्षित रखने और अपव्यय न होने देने का काम इनके द्वारा पूरा होता रहता है।
बड़ी चीज के लिए सुरक्षा का भी बड़ा प्रबन्ध करना पड़ता है। इसलिए अधिक बलशाली जीवों के शरीर पर अधिक बाल और कम बाल वाले जीवों के शरीर पर कम बाल पाये जायेंगे ! साथ ही शरीर में जो भाग अधिक महत्वपूर्ण होता है, उसमें बाल अधिक होते हैं। जिस मनुष्य के शरीर पर अधिक बाल हों तो समझना चाहिए कि उसमें जीवनी शक्ति अधिक है।
मनुष्य बुद्धिजीवी प्राणी है इसलिए मस्तिष्क की रक्षा के लिए सिर के ऊपर अधिक बाल पाये जाते हैं। पौरुष एवं ओज की ग्रन्थियों से दाढ़ी, मूछों के बाल संबन्धित हैं, जिनका मस्तिष्क अच्छा होता है उनके सिर पर बालों की प्रचुरता रहती है जिसमें ओज, पौरुष एवं दृढ़ता होती है उनकी दाढ़ी मूछों पर खूब बाल निकलते हैं। जिनमें काम वासना अधिक होती है उनके गुप्त अंगों के समीप बालों की अधिकता रहती है। जिनका हृदय और कलेजा मजबूत होता है उनकी छाती पर बाल ज्यादा रहेंगे। इनमें से जिस स्थान के बाल कम, हलके, निर्बल, टूटे-फूटे से रहें समझना चाहिए कि उस स्थान पर रहने वाली शक्ति में न्यूनता है।
गंजे आदमी अल्प बुद्धि होते हैं। जिसकी दाढ़ी मूछों पर कम बाल होंगे उसमें बहादुरी, उत्साह तथा पौरुष की कमी रहेगी। छाती पर बाल न हों तो दिल और कलेजा कमजोर होगा। नपुंसकों के गुप्तांगों पर बालों की कमी रहती है। पुराने लोग मूंछ और छाती पर बालों से रहित व्यक्ति को अशुभ मानते हैं, इस मान्यता का यही कारण है। यह प्राचीन विश्वास इसी तथ्य पर निर्भर है कि जो अंग निर्बल होंगे उनका उत्पादन और संरक्षण भी थोड़ा-सा ही दिखाई देगा।
कड़े, मोटे तथा बड़े बाल जिद्दीपन तथा खूँखार होने के चिह्न हैं। इसके विपरीत मुलायम और छोटे रोएँ वाले समझाने से समझ जाने वाले तथा परिश्रमी होते हैं। जंगली भेंसे के शरीर पर कड़े, मोटे तथा सघन बाल होते हैं, वह परले सिरे का खूंखार और जिद्दी होता है, इसके विपरीत छोटे मुलायम रोम वाला शेर जैसा हिंसक पशु भी कुछ नर्म होता है। सिखाने और समझाने से शेर सरकसों में काम करता है और कहना मानता है पर जंगली भेसा किसी सरकस में काम करते नहीं देखा गया। ऊँट, बैल, घोड़े, गधे बड़े परिश्रमी और समझ जाने वाले होते हैं इनके रोम छोटे तथा मुलायम ही होते हैं। उपरोक्त तथ्य के आधार पर यह कहा जा सकता है कि जिस मनुष्य के सिर, शरीर तथा अन्य अंगों पर कड़े, रूखे, टेढ़े, मोटे तथा बड़े बाल होंगे वह क्रूर प्रकृति का कठोर कर्मी होगा।
लड़ाकू, लुटेरे, निडर तथा बहादुर आदमियों के बाल ऐसे ही होते हैं। नेपोलियन, सीजर, सिकन्दर के बाल कड़े और मोटे थे। इसके विपरीत चतुर, राजनीतिज्ञ, कलाकार, धर्मात्मा प्रकृति के व्यक्तियों के बाल मुलायम होते हैं। एक और भी बात है कि कड़े बालों वाले दरिद्री और मुलायम बाल वाले धनी होंगे। कारण स्पष्ट है जिद्दीपन का होना निर्धन रहने की निशानी है तथा नम्रता तथा बुद्धिमत्ता धनी बनने की आधारशिला है।
अफ्रीका के नीग्रो और योरोप के गोरों की तुलना कीजिए। अफ्रीकन छोटे तथा कड़े बालों के होते हैं उनमें बुद्धि की न्यूनता पाई जाती है, योरोपीयनों के बाल लम्बे और मुलायम होते हैं, नीग्रो लोगों के मुकाबिले में गारों की बुद्धिमत्ता स्पष्टतः प्रकट है। बेशक शारीरिक बल में अफ्रीकन बढ़े-चढ़े और गोरे उनसे हेटे होते हैं, पर बुद्धि के मामले में इसके बिल्कुल ही उल्टी बात है। इन बातों पर विचार करते हुए हम इस नतीजे पर पहुँचते हैं कि मुलायम चिकने और कोमल बाल मानसिक उन्नति, विचारशीलता तथा चतुरता प्रकट करते हैं और कड़े, मोटे, खुरदरे, कंटीले बालों से शूरता अकड़, झगड़ा तथा बौद्धिक निर्बलता प्रकट होती है।
काले रंग का रासायनिक विश्रेषण करने से ज्ञात हुआ है कि उसमें लोहे का अंश अधिक होता है। स्याह, काले बाल उस मनुष्य के होंगे जिसके रक्त में लौह की मात्रा अधिक होगी। डाक्टर लोग बताते हैं कि रक्त में लौह की पर्याप्त मात्रा का होना निरोगता तथा बल शालीनता का चिह्न है। तात्पर्य यह है कि जिसके बाल स्याह काले रंग के हों उसके बलवान निरोग और दीर्घजीवी होने की सहज ही कल्पना की जा सकती है। इसी प्रकार कितने ही आधारों से यह बात भी जानी जा सकती है कि पतले बालों वाले कला निपुण तथा मोटे बाल वाले शारीरिक एवं मानसिक बल में बढ़े-चढ़े होते हैं।
किसी पेड़ को यदि उसकी आवश्यक खुराक न मिले तो वह मुरझाने लगता है। जो लोग ज्यादा मानसिक परिश्रम करते हैं उनके सिर पर बाल कम रहते हैं, कम बढ़ते हैं या उड़ जाते हैं। कारण यह है कि बालों की जड़ों को जो खुराक प्राप्त होनी चाहिए थी वह उन्हें प्राप्त न होकर दिमागी कार्यों में खर्च हो जाती है। ऐसी दशा में खुराक की कमी के कारण सिर के बालों का कमजोर या कम होना स्वाभाविक ही है। इसलिए सिर के बालों को कम देकर कहा जा सकता है कि यह व्यक्ति अधिक मानसिक परिश्रम वाला है।
यों तो अनेक रंगों के बालों वाले लोग इस पृथ्वी पर पाये जाते हैं, पर मोटे तौर पर सुनहरे, कत्थई, लाल, भूरे, काले और मटमैले रंग के अधिक देखे जाते हैं। ऊपर बताया जा चुका है कि बालों का गहरा काला होना रक्त में लौह की मात्रा से सम्बन्धित है, इसी प्रकार शरीर में रहने वाले विभिन्न रासायनिक पदार्थों की न्यूनाधिकता के असर से बालों के दूसरे रंग हो जाते हैं।
किन्हीं देशों की आवहवा में कोई रासायनिक पदार्थ अधिक होते हैं इसलिए वहाँ के निवासियों के शरीर में उन्हीं तत्वों की अधिकता हो जाती है। इसलिए वहाँ वालों के बालों की भी एक जाति बन जाती है। इटालियन, अमेरिकन, रूसी, चीनी तथा भारतीय लोगों के बालों की तुलना की जाय तो उनमें कुछ भिन्नता मिलेगी। यह भिन्नता उस देश की आवहवा का जो प्रभाव वहाँ के निवासियों पर पड़ता है-उसके कारण है। यह तो हुई देश-देश और जाति-जाति के लोगों के बालों में फर्क की बात। एक देश के निवासियों में भी हर व्यक्ति में भिन्नता पाई जाती है। जिस प्रकार दो व्यक्तियों की आकृति एक सी नहीं होती वैसे ही दो व्यक्तियों के शरीर में रासायनिक पदार्थ भी एक से नहीं होते और न मानसिक स्थिति एक सी होती है। इस असमानता का प्रभाव बालों के रंग पर भी पड़ता है। जैसे रक्त में लौह की मात्रा के अनुसार बालों का कालापन होता है वैसे ही अन्य पदार्थों तथा विचारों की स्थिति से अन्य रंग बन जाते हैं।
काले रंग के अन्तर्गत कुछ किस्में हैं जो मानसिक कारणों से बनती हैं। पाठकों को उन्हें भी जान लेना चाहिए। काला बाल यदि एकदम सीधा और लम्बा हो तो समझना चाहिए कि यह व्यक्ति निराशा, दुख, चिन्ताके विचारों में डूबा हुआ उदास रहता है।
जिसके बाल लच्छेदार, घुँघराले, बलखाऐ हुए हों तो समझना चाहिए कि यह मनमौजी, प्रेमी स्वभाव, उपकारी, नेकी करने वाला, रोगी तथा हँसोड़ तबियत का होगा। उसका क्रोध जल्दी ही शान्त हो जाता है और किसी पर रिनाह बसा सकता। साधारण ऐसे मनुष्य पर भरोसा किया जा सकता है।
जरा हलके काले रंग के बालों वाला मनुष्य चंचल स्वभाव, बड़े-बड़े मनसूबे बाँधने वाला, भावुक तथा असन्तोषी होता है। अपने को अभागा और दु:खी कल्पना किया करता है यदि यह हलके काले रंग के बाल किसी गौर बदन व्यक्ति के सिर पर हों तो समझना चाहिए कि इसकी स्थिरता का कुछ भरोसा नहीं, अभी इस पर जमा हुआ है तो कल किसी के बहकाने में आकर दूसरी तरफ लुढ़क सकता है। इस रंग के बाल खुशमिजाजी के सूचक हैं। वे स्त्री तथा बच्चों में बहुत जल्द मिल जाते हैं, विनम्र, परोपकारी, पस्त हिम्मत,खुशामदी स्वभाव के सूचक हैं, यदि हलके काले बाल, कड़े और मोटे हों तो लापरवाही, अक्खड़पन, दूसरों की अपेक्षा स्वतंत्र प्रकृति तथा एकाकीपन पसन्द करने की सूचना देते है।
ब्राउन रंग जिसमें लालिमा की प्रधानता होती है, ज्योतिष के मत से मंगल ग्रह की विशेषता है। यह रंग बहादुरी, हिम्मत, दृढ़ता तथा अहंकार का सूचक है। ब्राउन रंग के बालों वाले अक्सर दूसरों के साथ घमण्ड अविश्वास और तिरष्कार जनक व्यवहार करते हुए देखे जाते हैं। सामान्यत: यह रंग पशु वृत्ति का सूचक है जो भले-बुरे जिस भी भाग पर लग जाय उसी में मजबूती के साथ बढ़ती चली जाती है। इन बालों में लच्छेदार, सीधे, मोटे, पतले, कड़े, मुलायम आदि भेदों का भी वैसा ही फल समझना चाहिए जैसा कि पीछे काले बालों की चर्चा करते हुए बताया जा चुका है।
बिल्कुल सुनहले बाल मृदुलता, विलास और खुश मिजाजी का चिह्न हैं। ऐसे बालों वाले कोई बड़ा काम नहीं कर सकते, किसी संघर्ष में विजय भी कम ही प्राप्त करते हैं फिर भी उनका विनोदी स्वभाव आकर्षक होता है। यदि सुनहरीपन में कुछ कालापन तथा लालिमा मिली हो तो यह मनोबल का सूचक है, ऐसे लोगों की बुद्धि तीव्र होती है और मानसिक शक्तियों का विकास विशेष मात्रा में हुआ देखा जाता है। उसमें लिखने, बोलने, कल्पना करने, निर्माण करने तथा प्रभाव डालने की शक्ति अधिक देखी जाती है।
बिल्कुल लाल रंग के बाल कम ही दीख पड़ते हैं पर जब दीख पड़ें तो समझना चाहिए कि इस व्यक्ति के शरीर और मस्तिष्क में गर्मी तथा बदला लेने की व्यग्रता अधिक पाई जायगी, जो काम करेंगे बड़े उत्साह, लगन तथा जाँ फिसानी से करेंगे। जिसके पीछे पड़ेगे उसका पीछा आसानी से न छोड़ेंगे। जरा सी बात में उतेजित हो जाना, कल्पना जगत में भावुकता के साथ विचरण करते रहना ऐसे लोगों का स्वभाव-सा बन जाता है।
कभी-कभी इस तरह के बाल देखने में आते हैं जो किसी खास रंग के नहीं होते, उन्हें न तो काला कहा जा सकता है न लाल और न सुनहरी वरन् वे कई रंगों के मिश्रण से बने होते हैं, कालापन, लालिमा तथा सुनरहरीपन की मात्राओं का न्यूनाधिक मिश्रण होने से दर्जनों किस्म के रंग बन सकते हैं, बालों के रंग इसी आधार पर दर्जनों किस्म के होते हैं और हो सकते हैं। आकृति विद्या का अभ्यास करने वालों को वह अनुभव प्राप्त करना चाहिए कि बालों का रंग देखकर यह अन्दाज लगा सकें कि इनमें किस रंग का कम और किसका अधिक मिश्रण हुआ है।
जिस रंग का जो गुण है वह मिश्रण में भी अपनी मात्रा के अनुसार गुण प्रकट करेगा। जैसे काले रंग में थोड़ा लाल रंग मिला हो तो उस व्यक्ति में काले रंग के गुण अधिक होंगे साथ ही थोड़ा बहुत लाल रंग का प्रभाव भी दिखाई पड़ेगा। साथ ही मोटे, पतले, छोटे, लम्बे, कड़े, मुलायम तथा लच्छेदार बालों की जो विशेषता होती है उसका भी समावेश पाया जायेगा। इस तरह इन सभी बालों की विवेचना करते हुए, हर व्यक्ति के सम्बन्ध में अलग-अलग मत निश्चित करना पड़ेगा। इस विद्या के अभ्यासियों को पुस्तक के आधार पर प्राप्त हुए ज्ञान का उपयोग स्वतंत्र बुद्धि से करना होता है, जैसे कि डाक्टर लोग हर रोगी की विविध मार्गों से परीक्षा करके उसकी बीमारी का केवल पुस्तक के आधार पर नहीं वरन् बुद्धि पूर्वक निर्णय करते हैं।
बालों के कड़े और मुलायम होने का भेद महत्वपूर्ण है, हर बार फिर उसे दुहरा देना हम अनुचित नहीं समझते। पाठकों को स्मरण रखना चाहिए कि तार से कड़े बाल कठोरता, मर्दानगी, आत्म विश्वास, बल, दृढ़ता तथा अहंकार के सूचक हैं। ऐसे व्यक्तियों में कला, प्रेम, ममता, सहानुभूति प्रभूति कोमल गुणों की कमी होती है। इसके विपरीत मुलायम बालों वाले भावुक, मृदुल, कल्पना प्रिय, डरपोक, उपकारी, धार्मिक, दयालु, शान्ति प्रिय स्वभाव के होते हैं।
जिनके बालों की जड़ों के खुरंट जमने लगे, सफेद भूसी सी अधिक जमें उन्हें गर्म प्रकृति का, तेज स्वभाव वाला, कठोर प्रकृति का एवं चिन्ताशील समझना चाहिए। शोक अशान्ति एवं लम्बी बीमारी के कारण बालों की जड़ें कमजोर पड़ जाती हैं और बीच-बीच में से उखड़ने लगते हैं। जिनके बाल स्वत: ही छिर-छिरे हों उन्हें इतनी योग्यता अवश्य होती है कि निर्वाह से अधिक धन कमा सकें।
शूल की तरह जिनके बाल ऊपर को उड़ते हैं वे क्रोधी, चिड़चिड़े और असहिष्णु देखे जाते हैं। अत्यंत घने बालों वाले धनी और चतुर तो अवश्य होते हैं, पर उन्हें मानसिक क्लेश सदा बने रहते हैं। रेशम से मुलायम बालों वाले व्यक्ति बड़े भावुक होते हैं, उनके मन में प्रेम का प्रवाह स्वयं उमड़ता रहता है।
माथे पर बहुत आगे तक यदि बाल आ गये हों तो वह सदा ही कठिनाइयों के बीच में गुजरने वाला होगा। जिसका मस्तिष्क बहुत ऊँचाई तक बालों से रहित हो, वह अधिक समझदार होता है। कानों की जड़ से जिसके बाल बिल्कुल मिले हुए हों, वह अपनी बात का धनी होता है। गरदन पर बहुत दूर तक बाल चले गये हों तो इसे मानसिक विकास का चिह्न समझना चाहिए।
बहुत बड़ी और काली मूछों वाले मनुष्य लड़ाकू बहादुर और स्वाभिमानी होते हैं। छिरछरी, हलकी, मध्यम ऊँचाई की मुलायम मूछे बुद्धिमत्ता की सूचक हैं। बहुत ही छोटी और थोड़ी मूछें होना पुरुषत्व के कई आवश्यक गुणों की कमी प्रकट करती हैं। जिनकी मूछें बड़ी तेजी से बढ़ती हों उन्हें उतावले स्वभाव का समझना चाहिए।
पूरी भरी दाढ़ी तेजस्वी पुरुषों की होती है। उथले स्वभाव के मनुष्यों की ठोड़ी पर थोड़े से बाल आते हैं और कान के आस-पास की जगह खाली पड़ी रहती है। जल्दी बढ़ने वाली दाढ़ी बहुत धीरे-धीरे बढ़े उनकी मित्रता अधिक दिन किसी से नहीं निभती और न उनका कोई सच्चा सहायक होता है।
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