नई पुस्तकें >> आकृति देखकर मनुष्य की पहिचान आकृति देखकर मनुष्य की पहिचानश्रीराम शर्मा आचार्य
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लोगो की आकृति देखकर उनका स्वभाव पहचानना मनोरंजक तो होता ही है, परंतु इससे अधिक यह अनुभव आपको अन्य लोगों से सही व्यवहार करने में काम आता है।
होंठ
शरीर के अन्य अंगों पर व्यक्ति के स्वभाव की छाया कुछ देर में पड़ती है और देर तक ठहरती है, किन्तु होठों में ऐसी विशेषता है कि उन पर बहुत शीघ्र यहाँ तक कि उसी समय स्वभाव की छाया दृष्टिगोचर हो जाती है। रूठे हुए संतुष्ट, आनन्दित, विपत्तिग्रस्त, मनमौजी आदि मनोभावनाऐं होठों पर प्रत्यक्ष रूप से दिखाई पड़ती हैं। जैसे ही यह भावनाऐं बदलती हैं और उनके स्थान पर दूसरी परिस्थति आती है वैसे ही होठों का रंग ढंग भी बदल जाता है।
मध्यम वृत्ति के होठों वाला मुँह अच्छा समझा जाता है ! बहुत बड़े, बहुत छोटे, बहुत मोटे, बहुत पतले यह सभी बुराई प्रदर्शित करते हैं। जो होठ भली प्रकार बन्द नहीं होते, कुछ खुले रहते हैं उनसे मनुष्य की नासमझी, बकवादीपन, अदूरदर्शिता तथा चरित्र की कमजोरी प्रकट होती है। मोटे होठ बताते हैं कि इन्द्रिय सुखों को भोगने की लालसा इसे प्रबल रूप से सताया करती है। मोटे होठ वाले का यदि निचला होठ ऊपर से कुछ बढ़ा हुआ हो तो स्वादिष्ट भोजनों की विशेष इच्छा, दयालुता, कोमल हृदय तथा अनिश्चित स्वभाव का द्योतक है।
मोटे होठ यदि किवाड़ों की तरह बिल्कुल भिड़कर बन्द होते हों तो हिम्मत, मौकारपरस्ती और चतुरता जाहिर करते हैं ऐसे लोग मुस्तिकिल मिजाज होते हैं। एक बार जिस बात पर विश्वास कर लें फिर उसे बदलना उनके लिए बहुत मुश्किल है। किसी के समझाने बुझाने का उन पर कोई अधिक प्रभाव नहीं पड़ता। पतले होठ यदि खूब भिड़ कर बैठते हों तो कंजूसी, रूखापन, तोताचश्म, खुदगर्जी तथा शोषक वृत्ति की सूचना देते हैं। ऐसे लोगों को प्रसन्न रहते हुए न पाया जायगा, व्यापार के मामले में वे दृढ़ होते हैं तो भी अन्य बातों में उनका इत्मीनान करना कठिन है।
नीचे के होठो से ऊपर का यदि बड़ा हो कुछ आगे लटकता हो तो समझना चाहिए कि वह शुद्ध चरित्र, भलामानस, परोपकारी, विनम्र, लज्जाशील तथा झेपू होगा। उसके बहुत ही थोड़े मित्र होंगे जो होंगे वह भी आधे मन के। यदि पतले होठों में ऊपर का बड़ा हो तो चिन्ता, उदासीनता, घबराहट से ग्रसित सदा अपना दुखड़ा रोने वाला तथा अनिष्टों की कल्पना करके सदा डरता रहने वाला होगा। पतले होठों में नीचे का होठ यदि बड़ा हो तो विद्वता, परख हँसोड़पन, साथ ही अभिमान तथा दूसरों की निन्दा करने का स्वभाव पाया जायगा। नीचे के होठ का अन्तिम सिरा यदि जरा-सा मुड रहा हो तो उससे फैशन परस्ती, प्रतिभा, चतुरता, दार्शनिकता झलकती है ऐसे लोगों का यश दूर-दूर तक फैलता है।
मुँह की दोनों बगलें यदि भीतर को धंसी हुई हों तो प्रसन्नता, मजाक, पसन्दगी, प्रेम तथा मधुर भाषण प्रकट करती है। यदि ऊपर की ओर उभरी हुई हो तो गम्भीरता, आदरभाव, सन्तोष तथा मिलनसारी का होना बताती हैं। एक होठ के गड्ढे में दूसरे होठ के फुलाव की झड़ मिल कर दोनों होठ फिट बैठते हों तो ऐसे व्यक्ति सच बोलने वाले, प्रेमी विश्वास पात्र होते हैं परन्तु ऐसे लोगों के सामने कोई गुप्त बात प्रकट न करनी चाहिए। क्योंकि उनके पेट में गुप्त भेद छिपाये रहने को जगह नहीं होती।
नीले होठ वाले क्रोध अधिक करते हैं, फीके होठ परिश्रमी मनुष्यों के होते हैं, लाल होठ चतुर विद्वान और धनियों के होते हैं, जिनका चित्त प्रसन्न रहता है उनके होठ गीले रहते हैं, बीमार और दुखियों के होठ शुष्क देखे जाते हैं। उच्च अन्त:करण के महापुरुषों के होठ अक्सर फटे, चिथड़े और खुरखरे देखे जाते हैं।
होठ के बीच की चोंच यदि अधिक फूली हुई हो तो वह मस्तिष्क की कमजोरी प्रकट करती है। यदि ऊपर के होठों पर छोटी-छोटी रेखाएँ हों तो अल्प दीर्घ जीवन का चिह्न है, नीचे के होठ पर छोटी-छोटी रेखाएँ मनुष्य को घर से बाहर अधिक रहने के लिए विवश करती हैं।
जिनका मुँह बहुत थोड़ा फटा हुआ हो वह गुणी, कलाकार, मोहक स्वभाव का होता है। मध्यम चौड़ाई का जिनका मुँह हो वे व्यापार कुशल और अपने मतलब में चौकस होते हैं। जिनका मुँह कुत्ते के मुँह की तरह गालों तक फटा हुआ हो, बातर करने में मगर का-सा मुँह फट जाता हो तो ऐसे मनुष्य मूर्ख, निर्धन होते हैं और अक्सर दूसरों द्वारा सताये जाते हैं :
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