आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री की असंख्य शक्तियाँ गायत्री की असंख्य शक्तियाँश्रीराम शर्मा आचार्य
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गायत्री की शक्तियों का विस्तृत विवेचन
अजिता
अर्थात-जिसे कोई जीत न सके। गायत्री की टक्कर की और कोई शक्ति नहीं है, जो उसकी प्रतिद्वंद्विता में ठहर सके या उससे अधिक बड़ी सिद्ध होकर उसे परास्त कर सके। वसिष्ठ और विश्वामित्र का उपाख्यान प्रसिद्ध ही है कि गायत्री रूपी गौ के प्रताप से वसिष्ठ जी ने राजा विश्वामित्र की विशाल सेना को भोजन से ही तृप्त नहीं किया था वरन् युद्ध होने पर गो गायत्री ने ही सब सेना को परास्त कर दिया था। दूसरे शक्ति की उपासना से आश्चर्य चकित होकर विश्वामित्र ने राज-पाट छोड़कर तप द्वारा गायत्री को सिद्ध करके विश्व का सर्वोपरि बल उपलब्ध करने का प्रयत्न किया और उसी की सिद्धि से वे एक अलग दुनिया की स्वतंत्र रचना तक करने के लिए सफल हुए। अकेले विश्वामित्र ही नहीं, जिन्होंने भी गायत्री का साक्षात्कार किया है, उन्होंने उसे सर्वोपरि एवं अजिता ही पाया है।
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