आचार्य श्रीराम शर्मा >> गायत्री की असंख्य शक्तियाँ गायत्री की असंख्य शक्तियाँश्रीराम शर्मा आचार्य
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गायत्री की शक्तियों का विस्तृत विवेचन
गर्वापहारिणी
गर्व का अपहरण करने वाली, घमंड एवं अहंकार को नष्ट करने वाली शक्ति गायत्री है। धन, विद्या, सत्ता, रूप, प्रभुता आदि वस्तुओं को प्राप्त करके मनुष्य इतराने लगता है, अपने को दूसरों से बड़ा समझता है और अन्यों को छोटा समझकर उनसे हेय व्यवहार करता है। यह मानसिक स्थिति मनुष्य के उथले, असंस्कृत, उद्धत एवं तुच्छ होने का चिह्न है। इस स्थिति के कारण मनुष्य आत्मिक दृष्टि से दिनदिन अधिक पतनोन्मुख होता जाता है। उसके व्यवहार से लोगों में क्षोभ एवं रोष फैलता है-सो अलग। घमंडी आदमी एक प्रकार का असुर है, जो अनेक सद्गुणों से हाथ धो बैठता है। इसलिए गर्व को दूर किया जाना, चूर किया जाना आवश्यक है। गायत्री या तो ऐसी सद्बुद्धि देती है कि गर्व गलकर सज्जनता में परिणत हो जाए या फिर ऐसी विषम परिस्थितियाँ उत्पन्न करती है, जिसकी ठोकर से गर्व चूर हो जाए। तात्पर्य यह है कि साधक का ही नहीं दूसरे अन्य उद्धत व्यक्तियों का भी वह गर्व चूर करती रहती है।
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