आचार्य श्रीराम शर्मा >> जागो शक्तिस्वरूपा नारी जागो शक्तिस्वरूपा नारीश्रीराम शर्मा आचार्य
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नारी जागरण हेतु अभियान
मनोरंजन
शिक्षित युवक-युवतियों के मनोरंजन का मुख्य स्रोत 'सिनेमा' वर्तमान में इंद्रिय परक आवेगों को उभारने-भड़काने, काम-वासना को अनियंत्रित, अमर्यादित बनाने की प्रेरणा देने वाली सामग्री से भरपूर रहता है। मौज-मजे को ही सब कुछ मान लिया गया है। गंदे सिनेमा, गंदे चित्र और गंदी पुस्तकें इन दिनों प्रगतिशीलता का चिह्न बताई जाती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि शरीरगत वासना की पूर्ति ही जीवन का प्रधान लक्ष्य बन बैठा है। मन-मस्तिष्क की भूख और जरूरत की किसी को अधिक जानकारी नहीं। आत्मा की चिन्ता तो ऐसी स्थिति में क्या होगी? किन्तु आध्यात्मिक बौद्धिक तृप्ति के बिना जीवन में न तो गहरे सुख की अनुभूति संभव है और न शान्ति की।
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