आचार्य श्रीराम शर्मा >> जागो शक्तिस्वरूपा नारी जागो शक्तिस्वरूपा नारीश्रीराम शर्मा आचार्य
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नारी जागरण हेतु अभियान
मान्यताओं का परिष्कार
आज उस समय की उन मान्यताओं का समर्थन नहीं किया जा सकता, जिनमें संतान वालों को सौभाग्यवान् और संतानरहित को अभागी कहा जाता था। आज तो ठीक उलटी परिभाषा करनी पड़ेगी।
जो जितने अधिक बच्चे उत्पन्न करता है, वह संसार में उतनी ही अधिक कठिनाई उत्पन्न करता है। और समाज का उसी अनुपात से भार बढ़ाता है।
जबकि करोड़ों लोगों को आधे पेट सोना पड़ता है, तब नई आबादी बढ़ाना उन अभावग्रस्तों के ग्रास छीनने वाली नई भीड़ खड़ी कर देना है। आज की स्थिति में संतानोत्पादन को दूसरे शब्दों में समाजद्रोह का पाप कहा जाए तो तनिक भी अत्युक्ति नहीं होगी।
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