आचार्य श्रीराम शर्मा >> जागो शक्तिस्वरूपा नारी जागो शक्तिस्वरूपा नारीश्रीराम शर्मा आचार्य
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नारी जागरण हेतु अभियान
वैवाहिक जीवन का उत्तरदायित्व
विवाहित जीवन बिताना एक बड़ा उत्तरदायित्व है। इसे उन्हीं को वहन करना चाहिए, जो वर-वधू अपने को इस योग्य समझते हों। सिर पर भार बनने की अपेक्षा उसे ऊँचा उठाने, आगे बढ़ाने, आवश्यक सहयोग, सहायता कर सकने में अपने को उपयुक्त समझते हों। जो अपना निज का भार नहीं उठा सकते, उन्हें दूसरे को सुखी-समुन्नत बनाने की जिम्मेदारी अपने सिर पर नहीं लेनी चाहिए। अच्छा हो असमर्थ पक्ष स्वेच्छापूर्वक अविवाहित रहे। उसके स्वजन संबंधी भी ऐसा ही परामर्श दें। असमर्थों को उकसाया-भड़काया न जाय, यह अनिवार्य न माना जाय कि हर किसी का विवाह होना ही चाहिए।
सेना में भर्ती होने वाले सैनिकों की हर प्रकार जाँच पड़ताल कर ली जाती है। ठीक इसी प्रकार जिनको विवाह का उत्तरदायित्व वहन करना है, उन्हें शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और गुण, कर्म, स्वभाव की दृष्टि से इतना समर्थ होना चाहिए कि अपना निज का भार तो स्वयं वहन कर ही सकें। साथ ही साथी के लिए आवश्यक सुविधाएँ भी जुटा सकें। जिन्हें पीढ़ियों तक चलने वाला रोग किसी प्रकार लग गया हो, उन्हें विवाह का विचार ही छोड़ देना चाहिए। इसे अनिवार्य विषय न बनाया जाए। ऐच्छिक ही रखा जाए। जो इच्छुक है, उनकी भी जाँच पड़ताल कर ली जाय कि वे इस भार वहन में समर्थ हैं भी या नहीं।
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