आचार्य श्रीराम शर्मा >> जागो शक्तिस्वरूपा नारी जागो शक्तिस्वरूपा नारीश्रीराम शर्मा आचार्य
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नारी जागरण हेतु अभियान
ऋणी किसी के हैं, तो नारी के
हम परमेश्वर के पश्चात् सर्वाधिक ऋणी किसी के हैं, तो नारी के; क्योंकि प्रथम परमात्मा तो मात्र जीवन देता है; किन्तु द्वितीय मातृशक्ति नारी हमें जीने के योग्य बनाती है।
इस दिव्य चेतना शक्ति को प्रतिबंधित एवं शोषित कर कुछ पाने की कल्पना करना निरर्थक है। वह जब क्रुद्ध होती है, तो उसकी आँखों से बरसता हुआ अभिशाप, दमयन्ती के रूप में कोप से जल मरने वाले व्याध का मूर्तिमान उदाहरण घर-घर में प्रस्तुत करता है। रणचण्डी दुर्गा बनकर महिषासुर मर्दिनी की भूमिका का निर्वाह करती है। सीता के रूप में रावण वंश का समूल उन्मूलन तथा द्रौपदी के रूप में कौरवों के अवसाने का कारण बनती है। नारी का अपमान बर्बरता का प्रतीक है।
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