आचार्य श्रीराम शर्मा >> जन्मदिवसोत्सव कैसे मनाएँ जन्मदिवसोत्सव कैसे मनाएँश्रीराम शर्मा आचार्य
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जन्मदिवस को कैसे मनायें, आचार्यजी के अनुसार
प्रशिक्षण आवश्यक
इन सन्देशों में से किसी भी तथ्य पर या कई तथ्यों पर कुशल वक्ता उपयोगी व्याख्या कर सकते हैं। इसी प्रकार जो दुष्प्रवृत्तियाँ मानव-जीवन को पतन एवं दुःख दारिद्र के गर्त में धकेलती हैं, अथवा जो सत्प्रवृत्तियाँ सुख-शान्ति का सृजन करती है उनके स्वरूप, कार्य एवं परिणाम को लेकर बहुत कुछ कहा जा सकता है। क्या सोचने और क्या करने से यह अलभ्य अवसर निरर्थक बनता है और किस रीति-नीति को अपनाने से वैयक्तिक एवं सामाजिक प्रगति का पथ प्रशस्त होता है इस सदर्न में किसी भी वक्ता के लिए बहुत विस्तृत क्षेत्र कहने और समझाने के लिए पड़ा है। संगति, गायन, कथायें, उद्धरण, उक्तियाँ, समाचार आदि का पुट बीच-बीच में लगाते चलने से उस प्रकार के भाषण और भी अधिक रोचक, आकर्षक हृदयग्राही एवं प्रभावोत्पादक बन जाते हैं। विषय सारगर्भित और शैली रोचक, हो तो उपस्थित लोगों पर यह छाप छोड़ी जा सकती है जिससे वे मानव-जीवन के महत्व एवं सदुपयोग के सम्बन्ध में बहुत कुछ समझ-सखि सकें। इसी प्रकार उपयोगी वस्तुता कर सकने वाले प्रभावशाली लोग हमें ढूंढ़ने चाहिए। उनसे तैयारी के साथ निर्धारित प्रयोजन की पूर्ति कर सकने वाला प्रवचन करने का अनुरोध करना चाहिए। हमें स्वयं इस प्रकार का अभ्यास करना चाहिए।
स्मरण रहे, प्रवचन का समय और विषय निर्धारित बना रहे, उसमें व्यतिक्रम न होने पाये। जिस प्रकार विधान का सही और प्रभावोत्पादक होना आवश्यक है, उसी प्रकार प्रवचनों की उत्कृष्टता एवं व्यवस्था का भी पूरा-पूरा ध्यान रखा जाय। उत्सव के दोनों ही अंग समान रूप से महत्वपूर्ण हैं इसलिए किसी को भी घटिया दर्जे का नहीं रहने देना चाहिए।
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