आचार्य श्रीराम शर्मा >> कुछ धार्मिक प्रश्नों का उचित समाधान कुछ धार्मिक प्रश्नों का उचित समाधानश्रीराम शर्मा आचार्य
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कुछ धार्मिक प्रश्नों का उचित समाधान
Dharmik Prashno ka Uchit Samadhan by Sriram Sharma Acharya
इस समय संसार में सर्वत्र बुद्धिवाद की प्रधानता है। हर विषय को 'क्यों' और 'कैसे' की कसौटी पर कसा जाता है जो बात इस कसौटी पर खरी उतरती है, उसे ही मान्यता दी है, शेष को अमान्य करार दे दिया जाता है।
हिन्दू धर्म में अनेक मान्यताऐं, विचारधाराऐं, प्रथाऐं तथा रीतियाँ ऐसी हैं, जिनका ठीक-ठीक कारण समझने में कच्चे तार्किकों को बड़ी कठिनाई होती है। एक ओर तो उसके लाभों को ठीक प्रकार समझ नहीं पाते, दूसरी ओर उनमें घुसे हुए दोषों को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर देखते हैं। ऐसी दशा में उन्हें धार्मिक प्रथाऐं ढोंग, पाखण्ड, भ्रम, मूर्खता, अन्धविश्वास प्रतीत होती हैं। ब्राह्मणों के कमाने-खाने का धन्धा या पोंगा-पन्थियों की बेवकूफी कह कर उन महत्वपूर्ण प्रथाओं की उपेक्षा, उपहास, तिरस्कार करते एवं घृणा की दृष्टि से देखते है।
यदि ऐसी ही अनास्था रही तो हिन्दु संस्कृति को भारी आघात लगने की आशंका है। तत्व द्रष्टा ऋषियों ने मानव जाति के परम कल्याण के लिए जिन तथ्यों का प्रतिपादन किया था, उनका इस प्रकार अपरिपक्र बुद्धि द्वारा उपहास होना बहुत शोचनीय है। ऐसी शोचनीय स्थिति से ऊपर उठने के लिए उन तथ्यों पर बुद्धि संगत प्रकाश डालना आवश्यक है। इस पुस्तक में दान, श्रद्धा, देव और तीर्थ आदि बातों पर प्रकाश डाला गया है। हो सका तो अन्य बातों पर प्रकाश डालने के लिए पाठकों के मामने और भी पुस्तकें प्रस्तुत की जावेंगी।
-श्रीराम शर्मा आचार्य
प्रमुख धार्मिक प्रश्नों का उचित समाधान
अनुक्रम
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