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आचार्य श्रीराम शर्मा >> मरने के बाद हमारा क्या होता है ?

मरने के बाद हमारा क्या होता है ?

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :48
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 15529
आईएसबीएन :0

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मरने का स्वरूप कैसा होता है....

Marne Ke Baad Hamara Kya Hota Hai ?- a hHndi book by Sriram Sharma Acharya

जीव अमर है। उसकी मृत्यु का कोई प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। अविनाशी आत्मा सदा से है और सदा तक रहेगा। शरीर की मृत्यु को हम लोग अपनी मृत्यु मानते हैं, बस इसीलिए डरते और भयभीत होते हैं। यदि अंत:करण को यह विश्वास हो जाए कि आज की तरह हमें आगे भी जीवित रहना है, तो डरने की बात नहीं रह जाती।

मृत्यु का भय अन्य सब भयों से अधिक बलवान है, आदमी मौत के डर से थर-थर काँपा करता है। इसका कारण परलोक संबंधी अज्ञान है। इस पुस्तक में उस अज्ञान को हटाने का प्रयत्न किया गया है और उस जिज्ञासा की पूर्ति करने की चेष्टा की गई है, जिसमें मनुष्य अपने भविष्य के बारे में जानने के लिए आतुर रहता है।

परलोक विज्ञान के संबंध में हाथों-हाथ प्रमाण देकर साबित करना कठिन है, क्योंकि यह विषय जड़ विज्ञान की पहुँच से ऊँचा है। सर ओलिवर लाज जैसे परलोक विद्याविशारद को इस विद्या के संबंध में यही कहना पड़ा है कि ''इस आत्मविज्ञान को हर समय प्रत्यक्ष कर दिखाना कठिन है।'' जो पाठक स्थूल इंद्रियों को ही ज्ञान का परम साधन मानते हैं, उनके लिए परलोक संबंधी यह पुस्तक कल्पना से अधिक प्रतीत न होगी, किंतु जो दिव्यदर्शियों और तत्त्वज्ञानियों के वचनों पर विश्वास करते हैं, उनके लिए इसमें विश्वसनीय सामग्री है, क्योंकि अनेक उच्च आत्माओं के निकट संपर्क में रहकर जो ज्ञान हमने प्राप्त किया है, उसी का इसमें निचोड़ है।

- श्रीराम शर्मा आचार्य

 

मरने के बाद हमारा क्या होता है?

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