आचार्य श्रीराम शर्मा >> मरणोत्तर श्राद्ध-कर्म-विधान मरणोत्तर श्राद्ध-कर्म-विधानश्रीराम शर्मा आचार्य
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इसमें मरणोत्तर श्राद्ध-कर्म विधानों का वर्णन किया गया है.....
Maranottar Shradhakarm Vigyan - Sriram Sharma Acharya
गायत्री तीर्थ शान्तिकुञ्ज में भारतीय संस्कृति के अनुरूप हर प्रकार के संस्कार कराने की व्यवस्था लम्बे समय से चली आ रही है। तीर्थ श्राद्ध परम्परा प्रारम्भ करने के बाद एक नया अनुभव हुआ। ऐसा लगा कि लोगों के मन में रुकी-घुटी श्रद्धा की अभिव्यक्ति को नया मार्ग मिल गया है, जिनके तप, पुरुषार्थ और अनुदान पर हमारा वर्तमान जीवन टिका है, उन पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने की उमंग हर नर - नारी में उमड़ती दिखती है।
इस उमंग के उभार का प्रभाव क्षेत्रों (प्रज्ञा परिजनों) पर भी पड़ा है। श्राद्ध - मरणोत्तर संस्कार के लिए परिजनों के आग्रह बढ़ने लगे हैं। कार्यकर्ताओं को भी जगह-जगह यह संस्कार सम्पन्न कराना पड़ता है। बड़ी पुस्तक लेकर उसे सम्पन्न कराने में कम अनुभवी परिजनों को कठिनाई होती है। इसकी कई प्रतियाँ साथ रखकर सामूहिक रूप से भी प्रयोग किये जा सकते हैं। इससे बड़ी पुस्तक के खराब होने का भय भी नहीं रहता। आशा है परिजनों के सदाशयता भरे सत्प्रयास में इस प्रकाशन से पर्याप्त सहयोग मिलेगा।
- ब्रह्मवर्चस
विषय-क्रम
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- ॥ मरणोत्तर-श्राद्ध संस्कार ॥
- क्रम व्यवस्था
- पितृ - आवाहन-पूजन
- देव तर्पण
- ऋषि तर्पण
- दिव्य-मनुष्य तर्पण
- दिव्य-पितृ-तर्पण
- यम तर्पण
- मनुष्य-पितृ तर्पण
- पंच यज्ञ