स्वास्थ्य-चिकित्सा >> आरोग्य कुंजी आरोग्य कुंजीमहात्मा गाँधी
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गाँधी जी द्वारा स्वास्थ्य पर लिखे गये लेख
सख्त बुखारमें मिट्टीका उपयोग पेडू पर रखनेके लिए और सिरमें दर्द हो, तो सिर पर रखनेके लिए मैंने किया है। मैं यह तो नहीं कह सकता कि इससे हमेशा बुखार उतरा ही है, मगर रोगीको इससे शांति जरुर मिली है। टाइफाइड में मैने मिट्टीका खूब प्रयोग किया है। यह बुखार तो अपनी मुद्दत लेकर ही जाता था, मगर मिट्टीसे रोगीको हमेशा शांति मिलती थी। सब रोगी खुद मिट्टी मांगते थे। सेवाग्राम-आश्रममें टाइफाइड के दसेक केस हो चुके हैं। पर उनमें से एक भी केस नहीं बिगड़ा। सेवाग्राममें अब टाडफाइडसे लोग डरते नहीं हैं। मैं कह सकता हूँ कि एक भी केसमें मैंने दवाका उपयोग नहीं किया। मिट्टीके सिवा दूसरे नैसर्गिक उपचारोंका उपयोग मैंने ज़रूर किया हे, मगर उनकी चर्चा उनके स्थान पर करूंगा।
मिट्टीका उपयोग सेवाग्राममें एन्टीफ्लोजिस्टिनकी जगह पर छूटसे हुआ हे। उसमें थोड़ा सरसोंका तेल और नमक मिलाया जाता है। इस मिट्टीको अच्छी तरह गरम करना पड़ता हे। इससे वह बिलकुल निर्दोष बन जाती है।
मिट्टी कैसी होनी चाहिये, यह कहना अभी बाकी है। मेरा पहला परिचय तो अच्छी लाल मिट्टी से हुआ था। पानी मिलाने पर उसमें से सुगंध निकलती है। ऐसी मिट्टी आसानीसे नहीं मिलती। बम्बई जैसे शहरमें तो किसी भी तरहकी मिट्टी पाना मेरे लिए कठिन हो गया था। मिट्टी न तो बहुत चीकनी होनी चाहिये और न बिलकुल रेतीली। खादवाली तो हरगिज़ न होनी चाहिये। वह रेशमकी तरह मुलायम होनी चाहिये और उसमें कंकरी बिलकुल न होनी चाहिये। इस लिए उसे बारीक छलनीसे छान लेना अच्छा है। बिलकुल साफ न लगे तो उसे सेंक लेना चाहिये। मिट्टी बिलकुल सूखी होनी चाहिये। गीली हो तो उसे धूपमें या अंगीठी पर सूखा लेना चाहिये। साफ भाग पर इस्तेमाल की हुई मिट्टी सूखाकर बार-बार इस्तेमाल की जा सकती है। इस तरह इस्तेमाल करनेसे मिट्टीका कोई गुण कम होता हो ऐसा मैं नहीं जानता। मैंने इस तरह मिट्टीका इस्तेमाल किया है और मेरे अनुभवमें यह नहीं आया कि उसका कोई गुण कम हुआ है। मिट्टीका उपयोग करनेवालोंसे मैंने सुना है कि जमुनाके किनारे जो पीली मिट्टी मिलती है बह बहुत गुणकारी होती है।
मिट्टी खाना : क्युनेने लिखा है कि साफ बारीक समुद्री रेती दस्त लानेके लिए उपयोगमें ली जाती हे। मिट्टी किस तरह काम करती है, इसके बारेमें उन्होंने बताया है कि मिट्टी पचती नहीं, उसे कचरे (refuse) की तरह पेटसे बाहर निकलना ही होता है। और अपने साथ वह मलको भी बाहर निकालती है। लेकिन इसका मैंने तो कभी अनुभव नहीं किया है। इसलिए जो लोग यह प्रयोग करना चाहें, वे सोच-समझ कर ही करें। एक-दो बार आजमा कर देखनेमें कोई नुकसान होनेकी संभावना नहीं है।
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