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ई-पुस्तकें >> शिव पुराण भाग-2 - रुद्र संहिता

शिव पुराण भाग-2 - रुद्र संहिता

हनुमानप्रसाद पोद्दार

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :812
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2079
आईएसबीएन :81-293-0099-0

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भगवान शिव की महिमा का वर्णन...

दधीचिने कहा- मुख्य-मुख्य देवताओ तथा महर्षियो! आप सब लोग प्रशंसा-पूर्वक मेरी बात सुनें। इस यज्ञ-महोत्सव में भगवान् शंकर नहीं आये हैं इसका क्या कारण है? यद्यपि ये देवेश्वर बड़े-बड़े मुनि और लोकपाल यहाँ पधारे हैं तथापि उन महात्मा पिनाकपाणि शंकर के बिना यह यज्ञ अधिक शोभा नहीं पा रहा है। बड़े-बड़े विद्वान् कहते हैं कि मंगलमय भगवान् शिव की कृपादृष्टि से ही समस्त मंगल-कार्य सम्पन्न होते हैं। जिनका ऐसा प्रभाव है वे पुराण-पुरुष, वृषभध्वज, परमेश्वर श्रीनीलकण्ठ यहाँ क्यों नहीं दिखायी दे रहे हैं? दक्ष! जिनके सम्पर्क में आनेपर अथवा जिनके स्वीकार कर लेने पर अमंगल भी मंगल हो जाते हैं तथा जिनके पंद्रह नेत्रों से देखे जाने पर बड़े-बड़े नगर तत्काल मंगलमय हो जाते हैं उनका इस यज्ञ में पदार्पण होना अत्यन्त आवश्यक है। इसलिये तुम्हें स्वयं ही परमेश्वरशिव को यहाँ शीघ्र बुलाना चाहिये अथवा ब्रह्मा, प्रभावशाली भगवान् विष्णु, देवराज इन्द्र, लोकपालगणों, ब्राह्मणों और सिद्धों की सहायता से सर्वथा प्रयत्न करके इस समय यज्ञ की पूर्ति के लिये तुम्हें भगवान् शंकर को यहाँ ले आना चाहिये। आप सब लोग उस स्थानपर जायँ, जहाँ महेश्वरदेव विराजमान हैं। वहाँ से दक्षनन्दिनी सती के साथ भगवान् शम्भु को यहाँ तुरंत ले आयें। देवेश्वरो! जगदम्बासहित वे परमात्मा शिव यदि यहाँ आ गये तो उनसे सब कुछ पवित्र हो जायगा; उनके स्मरण से, उनके नाम लेने से सारा कार्य पुण्यमय बन जाता है। अत: पूर्ण प्रयत्न करके भगवान् वृषभध्वज को यहाँ ले आना चाहिये। भगवान् शंकर के यहाँ पदार्पण करते ही यह यज्ञ पवित्र हो जायगा; अन्यथा यह पूरा नहीं हो सकेगा- यह मैं सत्य कहता हूँ।

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