ई-पुस्तकें >> शिव पुराण भाग-2 - रुद्र संहिता शिव पुराण भाग-2 - रुद्र संहिताहनुमानप्रसाद पोद्दार
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भगवान शिव की महिमा का वर्णन...
देवताओं ने कहा- भगवन्! शरणागत-वत्सल महेश्वर! आप कृपा करके हमारे इस शुभ वचन को सुनिये। शंकर! आप कामदेव की करतूत पर भलीभांति प्रसन्नता- पूर्वक विचार कीजिये। महेश्वर! काम ने जो यह कार्य किया है, इसमें इसका कोई स्वार्थ नहीं था। दुष्ट तारकासुर से पीड़ित हुए हम सब देवताओं ने मिलकर उससे यह काम कराया है। नाथ! शंकर! इसे आप अन्यथा न समझें। सब कुछ देनेवाले देव! गिरीश! सती-साध्वी रति अकेली अति दुःखी होकर विलाप कर रही है। आप उसे सान्त्वना प्रदान करें। शंकर! यदि इस क्रोध के द्वारा आपने कामदेव को मार डाला तो हम यही समझेंगे कि आप देवताओं सहित समस्त प्राणियों का अभी संहार कर डालना चाहते हैं। रति का दुःख देखकर देवता नष्टप्राय हो रहे हैं; इसलिये आपको रति का शोक दूर कर देना चाहिये।
ब्रह्माजी कहते हैं- नारद! सम्पूर्ण देवताओं का यह वचन सुनकर भगवान् शिव प्रसन्न हो उनसे इस प्रकार बोले।
शिव ने कहा- देवताओ और ऋषियो! तुम सब आदरपूर्वक मेरी बात सुनो। मेरे क्रोध से जो कुछ हो गया है वह तो अन्यथा नहीं हो सकता, तथापि रति का शक्तिशाली पति कामदेव तभी तक अनंग (शरीररहित) रहेगा, जबतक रुक्यिणीपति श्रीकृष्ण का धरती पर अवतार नहीं हो जाता। जब श्रीकृष्ण द्वारका में रहकर पुत्रों को उत्पन्न करेंगे; तब वे रुक्मिणी के गर्भ से काम को भी जन्म देंगे। उस काम का ही नाम उस समय 'प्रद्युम्न' होगा -इसमें संशय नहीं है। उस पुत्र के जन्म लेते ही शम्बरासुर उसे हर लेगा। हरण के पश्चात् दानवशिरोमणि शम्बर उस शिशु को समुद्र में डाल देगा। फिर वह मूढ़ उसे मरा हुआ समझकर अपने नगर को लौट जायगा। रते! उस समयतक तुम्हें शम्बरासुर के नगर में सुखपूर्वक निवास करना चाहिये। वहीं तुम्हें अपने पति प्रद्युम्न की प्राप्ति होगी। वहाँ तुमसे मिलकर काम युद्ध में शम्बरासुर का वध करेगा और सुखी होगा। देवताओ! प्रद्युम्ननामधारी काम अपनी कामिनी रति को तथा शम्बरासुर के धन को लेकर उसके साथ पुन: नगर में जायगा। मेरा यह कथन सर्वथा सत्य होगा।
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