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गीता प्रेस, गोरखपुर >> शिव पुराण 3 - शतरुद्र संहिता

शिव पुराण 3 - शतरुद्र संहिता

हनुमानप्रसाद पोद्दार

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :812
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2080
आईएसबीएन :81-293-0099-0

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भगवान शिव की महिमा का वर्णन...


अध्याय १६-१८

शिवजी के महाकाल आदि दस अवतारों का तथा ग्यारह रुद्र-अवतारों का वर्णन

तदनन्तर यक्षेश्वरावतार की बात कहकर नन्दीश्वरने कहा-मुने! अब शंकरजी के उपासना काण्ड द्वारा सेवित महाकाल आदि दस अवतारों का वर्णन भक्तिपूर्वक श्रवण करो। उनमें पहला अवतार 'महाकाल' नामसे प्रसिद्ध है, जो सत्पुरूषों को भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाला है। उस अवतार की शक्ति भक्तों की मनोवांछा पूर्ण करनेवाली महाकाली हैं। दूसरा 'तार' नामक अवतार हुआ, जिसकी शक्ति तारादेवी हुईं। वे दोनों भुक्ति-मुक्ति के प्रदाता तथा अपने सेवकों के लिये सुखदायक हैं। 'बाल भुवनेश' नाम से तीसरा अवतार हुआ। उसमें बाला भुवनेशी शिवा शक्ति भुवनेश्वरी हुईं, जो सज्जनों को सुख देनेवाली हैं। चौथा भक्तों के लिये सुखद तथा भोग-मोक्षप्रदायक 'षोडश श्रीविद्येश' नामक अवतार हुआ और षोडशी श्रीविद्या शिवा उसकी शक्ति हुईं। पाँचवाँ अवतार 'भैरव' नामसे प्रसिद्ध हुआ, जो सर्वदा भक्तों की कामनाओं को पूर्ण करनेवाला है। इस अवतारकी शक्तिका नाम है भैरवी गिरिजा, जो अपने उपासकों की अभीष्ट-दायिनी हैं। छठा शिवावतार 'छिन्नमस्तक' नाम से कहा जाता है और भक्तकामप्रदा गिरिजा का नाम छिन्नमस्ता है। सम्पूर्ण मनोरथों के दाता शम्भु का सातवाँ अवतार 'धूमवान्' नाम से विख्यात हुआ। उस अवतार में श्रेष्ठ उपासकों की लालसा पूर्ण करनेवाली शिवा धूमावती हुईं। शिवजी का आठवाँ सुखदायक अवतार 'बगलामुख' है। उसकी शक्ति महान् आनन्ददायिनी बगलामुखी नाम से विख्यात हुईं। नवाँ शिवावतार 'मातंग' नामसे कहा जाता है। उस समय सम्पूर्ण अभिलाषाओं को पूर्ण करनेवाली शर्वाणी मातंगी हुईं। शम्भु के भुक्ति-मुक्तिरूप फल प्रदान करनेवाले दसवें अवतार का नाम 'कमल' है जिसमें अपने भक्तों का सर्वथा पालन करनेवाली गिरिजा कमला कहलायीं। ये ही शिवजी के दस अवतार हैं। ये सब-के-सब भक्तों तथा सत्पुरुषों के लिये सुखदायक तथा भोग-मोक्ष के प्रदाता हैं। जो लोग महात्मा शंकर के इन दसों अवतारों की निर्विकारभाव से सेवा करते हैं उन्हें ये नित्य नाना प्रकार के सुख देते रहते हैं। मुने! इस प्रकार मैंने दसों अवतारों का माहात्म्य वर्णन कर दिया। तन्त्रशास्त्र में तो यह सर्वकामप्रद बतलाया गया है। मुने! इन शक्तियों की भी अद्भुत महिमा है। तन्त्र आदि शास्त्रों में इस महिमा का सर्वकामप्रदरूप से वर्णन किया गया है। ये नित्य दुष्टों को दण्ड देनेवाली और ब्रह्मतेज की विशेषरूप से वृद्धि करनेवाली हैं। ब्रह्मन्! इस प्रकार मैंने तुमसे महेश्वर के महाकाल आदि दस शुभ अवतारों का शक्तिसहित वर्णन कर दिया। जो मनुष्य समस्त शिवपर्वों के अवसर पर इस परम पावन कथा का भक्तिपूर्वक पाठ करता है वह शिवजी का परम प्यारा हो जाता है। (इस आख्यान का पाठ करने से) ब्राह्मण के ब्रह्मतेज की वृद्धि होती है क्षत्रिय विजय लाभ करता है वैश्य धनपति हो जाता है और शूद्र को सुख की प्राप्ति होती है। स्वधर्मपरायण शिवभक्तों को यह चरित सुनने से सुख प्राप्त होता है और उनकी शिवभक्ति विशेषरूप से बढ़ जाती है।

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