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शिव पुराण 4 - कोटिरुद्र संहिता

हनुमानप्रसाद पोद्दार

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :812
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2081
आईएसबीएन :81-293-0099-0

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भगवान शिव की महिमा का वर्णन...


सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारे परमेश्वरम्।।
केदार हिमवत्पृष्टे डाकिन्यां भीमशहरए।
वाराणस्यौ च विश्वेश त्र्यम्बकं गौतमीतटे।।
वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारुकावने।
सेतुबन्धे च रामेशं घुश्मेर्श तु शिवालये।।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरूत्थाय य: पठेत्।
सर्वपापैर्विनिर्मुक्त सर्वसिद्धिफल लभेत।।

(शि० पु० कोटिरु० सं० १। २१-२४)

१. सौराष्ट्र में सोमनाथ- श्रीसोमनाथका दर्शन करनेके लिये काठियावाड़ प्रदेशके अन्तर्गत प्रभासक्षेत्रमें जाना चाहिये।

२. श्रीशैलपर मल्लिकार्जुन- श्रीमल्लिकार्जुन नामक ज्योतिर्लिंग जिस पर्वतपर विराजमान है उसका नाम श्रीशैल या श्रीपर्वत है। यह स्थान मद्रास प्रान्तके कृष्णा जिलेमें कृष्णा नदीके तटपर है। इसे दक्षिणका कैलास कहते हैं।

३. उज्जैनी में महाकाल- महाकाल या महाकालेश्वर मालवा प्रदेशमें क्षिप्रा नदीके तटपर उज्जैन नामक नगरीमें विराजमान है। उज्जैनको अवन्तिकापुरी भी कहते हैं।

४. ओकारतीर्थ में परमेश्वर- इस शिवलिंगको ओंकारेश्वर भी कहते हैं। ओंकारेश्वरका स्थान मालवा प्रान्तमें नर्मदा नदीके तटपर है। उज्जैनसे खंडवा जानेवाली रेलवेकी छोटी लाइनपर मोरटक्का नामक स्टेशन है। वहाँसे यह स्थान ७ मील दूर है। यहाँ ओंकारेश्वर और अमलेश्वर नामक दो पृथक-पृथक लिंग हैं। परंतु दोनों एक ही ज्योतिर्लिंगके दो स्वरूप माने गये हैं।

५. हिमालय के शिखरपर केदार- श्रीकेदारनाथ या केदारेश्वर हिमालयके केदार नामक शिखरपर स्थित हैं। शिखरसे पूर्वकी ओर अलकनन्दाके तटपर श्रीबदरीनाथ अवस्थित हैं और पश्चिममें मन्दाकिनीके किनारे श्रीकेदारनाथ विराजमान हैं। यह स्थान हरिद्वारसे १५० मील और ऋषिकेशसे १३२ मील दूर है।

६. डाकिनी में भीमशंकर- श्रीभीमशंकरका स्थान बम्बईसे पूर्व और पूनासे उत्तर भीमा नदीके किनारे उसके उद्‌गमस्थान सहा पर्वतपर है। यह स्थान लारीके रास्तेसे जानेपर नासिकसे लगभग १२० मील दूर है। सहा पर्वतके उस शिखरका नाम, जहाँ इस ज्योतिर्लिंगका प्राचीन मन्दिर है, डाकिनी है। इससे अनुमान होता है कि कभी यहाँ डाकिनी और भूतोंका निवास था। शिवपुराणकी एक कथाके आधारपर भीम शंकर ज्योतिर्लिंग आसामके कामरूप जिलेमें गोहाटीके पास ब्रह्मपुर पहाड़ीपर स्थित बताया जाता है। कुछ लोग कहते हैं कि नैनीताल जिलेके उज्जनक नामक स्थानमें एक विशाल शिवमन्दिर है वही भीमशंकरका स्थान है।

७. वाराणसी में विश्वनाथ- काशीके श्रीविश्वनाथजी तो प्रसिद्ध ही हैं।

८. गोदावरी के तटपर त्र्यम्बक- यह ज्योतिर्लिंग त्र्यम्बक या व्यम्बकेश्वरके नामसे प्रसिद्ध है। बम्बई प्रान्तके नासिक जिलेमें नासिक पंचवटीसे १८ मील दूर गोदावरीके उद्‌गमस्थान ब्रह्मगिरिके निकट गोदावरीके तटपर ही इसकी स्थिति है।

. चिताभूमि में वैद्यनाथ- यह स्थान संथाल परगनेमें ई० आई० रेलवे के जसीडीह स्टेशन के पास वैद्यनाथधामके नामसे प्रसिद्ध है। पुराणोंके अनुसार यही चिताभूमि है। कहीं-कहीं 'परल्यां वैद्यनाथं च' ऐसा पाठ मिलता है। इसके अनुसार परलीमें वैद्यनाथकी स्थिति है। दक्षिण हैदराबाद नगरसे इधर परभनी नामक एक जंकशन है। वहाँसे परलीतक एक ब्रांच लाइन गयी है। इस परली स्टेशनसे थोड़ी दूरपर परली गाँवके निकट हाइद्यनाथ नामक ज्योतिर्लिंग है।

१०. दारुकावन में नागेश- नागेश नामक ज्योतिर्लिंगका स्थान बड़ौदा राज्यके अन्तर्गत गोमतीद्वारकासे ईशानकोणमें बारह-तेरह मीलकी दूरीपर है। दारुकावन इसीका नाम है। कोई-कोई दारुकावनके स्थानमें 'द्वारकावन' पाठ मानते हैं। इस पाठके अनुसार भी यही स्थान सिद्ध होता है; क्योंकि वह द्वारकाके निकट और उस क्षेत्रके अन्तर्गत है। कोई-कोई दक्षिण हैदराबादके अन्तर्गत औढ़ा ग्राममें स्थित शिवलिंगको ही नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मानते हैं। कुछ लोगोंके मतसे अल्मोड़ासे १७ मील उत्तर-पूर्वमें स्थित यागेश (जागेश्वर) शिवलिंग ही नागेश ज्योतिर्लिंग है।

११. सेतुबन्ध में रामेश्वर- श्रीरामेश्वर तीर्थको ही सेतुबन्ध तीर्थ भी कहते हैं। यह स्थान मद्रास प्रान्तके रामनाथम् या रामनद जिलेमें है। यहाँ समुद्रके तटपर रामेश्वरका विशाल मन्दिर शोभा पाता है।

१२. शिवालय में घुश्मेश्वर- श्रीघुश्मेश्वरको घृष्श्वर या घृष्णेश्वर भी कहते हैं। इनका स्थान हैदराबाद राज्यके अन्तर्गत दौलताबाद स्टेशनसे १२ मील दूर बेरुल गाँवके पास है। इस स्थानको ही शिवालय कहते हैं।

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