लोगों की राय

उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595
आईएसबीएन :9781613010143

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

203 पाठक हैं

जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...


‘अगर मैं पाकिस्तान के विषय में कोई अच्छी-सी इतिहास की पुस्तक लिख सकी तो वह छप जायेगी।’

‘मगर यहां का इतिहास लिखने के लिये मेहनत करनी पड़ेगी।’

‘आपकी सहायता से मैं यह काम कर सकने की आशा करती हूं।’

‘मैंने इस बारे में अज़ीज़ अहमद साहब से बात की है। वह भी रजामन्द हैं। यदि किसी अंग्रेज लेखक द्वारा लिखी पुस्तक इंगलैंड में छप सकी तो अपने मुल्क को लाभ होगा। मैंने अजीज साहब को तुम्हारी मदद के लिये कह दिया है।’

‘अजीज साहब ने तुम्हारे रहने के लिये इसी अहाते में एक आऊट-हाऊस का सुझाव दिया है। मैं समझता हूं कि तुम उसे देख लो। यदि पसन्द आये तो वहां ‘शिफ्ट’ कर लो। मैं यहां से बाहर आता-जाता रहता हूं। जब कभी यहां हुआ तो रात का खाना तुम्हारे साथ खा लिया करूंगा और तुम्हारी काम में प्रगति देखा करूंगा।’

‘धन्यवाद पापा! मैं सुबह मकान देखने जाऊंगी। साथ ही मैं चाहती हूं कि कोई औरत मकान की हाऊस-कीपर नियुक्त कर दें।’

‘यह तुम अजीज साहब से कहना। वह तुम्हारे लिए सब किस्म का इन्तजाम कर देगा।’

‘‘अगले दिन प्रातःकाल ही अजीज अहमद मुझे प्रस्तावित मकान दिखाने ले गये। अजीज साहब ने बताया, ‘यहां गवर्नर बहादुर की एक मित्र अमेरिकन स्त्री पांच छः महीने रह गयी है। उसने यह मकान अपनी रुचि अनुसार फरनिश करवाया था। मुझे यह हुक्म है कि उसमें जो भी परिवर्तन आप चाहें, उसके मुताबिक करवा दूं।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book