लोगों की राय

उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595
आईएसबीएन :9781613010143

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

203 पाठक हैं

जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...


‘‘हो जायेगा।’’

‘‘ठीक है! कल आप प्रातःकाल पांच बजे यहां आ जाइए। होटल में सामान जमा करा जाइयेगा और यदि तब तक होटल रहा तो आपको सामान मिल जायेगा।’’

‘‘और सामान आपके यहां नहीं रख सकता?’’

‘‘कितना सामान है?’’ मिस्टर टॉम ने पूछ लिया।

‘‘एक बिस्तर है एक और सूटकेस है! एक ब्रीफ-केस और एक ‘पोर्टेबल टाइप राइटर है।’’

‘ठीक है! आप यहां रख जाइये और लौटकर यहाँ से प्राप्त कर लीजियेगा।’’

अगले दिन से पैदल यात्रा आरम्भ हुई। कई स्थानों पर खच्चरों का मार्ग था, परन्तु अधिक मार्ग पर तो मनुष्य के पांव के निशान भी दिखायी नहीं देते थे। एक बात थी कि गाइड मार्ग से भली भाति परिचित था। वह उस मार्ग पर प्रायः आता-जाता प्रतीत होता था। कहीं-कहीं तो बहुत ऊंचाई पर से पार करना पड़ता था। और वहाँ हवा पतली होने के कारण वह साँस फूँकने लगता था। प्रत्येक सायंकल वे किसी न किसी ठहरने योग्य स्थान पर पहुंच जाते थे, जहां सोने को स्थान, खाने को ज्वार बाजरे का दलिया अथवा बकरियों का दूध मिल जाता था। साथ ही प्रातः अगले दिनभर के खाने को मिल जाता था।

तेजकृष्ण को यह जानने में कठिनाई नहीं हुई कि उसका पथ-प्रदर्शक उन लोगों को जानता था, जिनके यहाँ ठहरता था। वह ही तेजकृष्ण से उनसे खाने के सामान का दाम दिलवा देता था।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book