लोगों की राय

उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595
आईएसबीएन :9781613010143

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

203 पाठक हैं

जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...


उस अंग्रेज़ी में बातचीत करने वाले ने चीनी शिविर के अधिकारी को कुछ कहा और फिर उसे तथा गाइड को चीनी सैनिक घेरे हुए उसी दिशा में एक ओर एक ‘हट’ में ले गये और वहाँ दोनों को बन्द कर दिया गया।

जब ये दोनों अकेले रह गये तो गाइड ने अपने थैले में से भुना मक्का निकाला और तेज को खाने के लिए दिया। खाते हुए उसने कहा ‘खाकर जल पी लो और सो जाओ। रात को हम यहां से भाग जायेंगे।’’

‘‘कैसे?

‘‘यह जानने की आवश्यकता नहीं। हमें पकड़ा ही नहीं जाना था। परन्तु देखा है न, शिविर खाली हो गया है। यहां दस सहस्त्र चीनी सैनिक थे। उसमें से नौ हज़ार से ऊपर भारत की सीमा में घुस गए है और इस समय भारत की चौकियों की ओर बढ़ रहे हैं।’’

‘‘ये लोग नहीं चाहते कि हम यहां से भारत में उनके आक्रमण से पहले चले जायें। इसलिए ये दो-तीन दिन तक हमें यहां रोकना चाहते है। परन्तु मैं वापस शिलांग जाना चाहता हूं।’’

‘‘किसलिए?’’ तेज ने पूछ लिया।

‘‘आक्रमण का समाचर शिलांग में पहुंचा तो वहां भगदड़ मच जाएगी और मेरी पत्नी तथा लड़की चिन्ता करने लगेंगी। मैं उनकी रक्षा का प्रबन्ध करना चाहता हूं।’’

यह नई परिस्थिति थी। तेज को भी यही समझ में आया कि यदि सम्भव हो तो वापस लौट जाये और युद्ध के समाचार भेजने आरम्भ कर दे।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book