लोगों की राय

उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595
आईएसबीएन :9781613010143

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

203 पाठक हैं

जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...


इस पर तेज ने नज़ीर की ओर देख कर कहा, ‘‘हनीमून के लिये खर्चा तो मिल जायेगा, मगर फौरन ही जाना है।’’

‘‘और शादी?’’ नज़ीर की माँ ने पूछ लिया।

‘‘जल्दी करिये। जो कुछ भी करना हो कर लीजिये। मेरे दफ्तर से ‘अर्जेण्ट कॉल’ ‘‘है।’’

‘‘अम्मी!’’ नज़ीर ने कहा, ‘‘मैं अभी इनको ‘किस’ कर विवाह कर लेती हूँ और तुम ‘ब्लैस’ कर दो। बस इतना काफी है।’’

माँ अभी विचार ही कर रही थी कि नज़ीर ने तेजकृष्ण से आलिंगन किया और उसे ‘किस’ कर कहा, ‘‘अम्मी! शादी हो गयी। बाकी रीति-रिवाज ‘हनीमून’ से वापस आकर कर लेंगे।’’

नज़ीर ने टेलीफोन से टैक्सी बुलायी और जैसे खड़ी थी, वैसे ही चलने को तैयार हो गयी। सूटकेस और किताब की पाण्डुलिपि का ब्रीफकेस वहां ही रह गया।

तेजकृष्ण तो ऐसा अनुभव कर रहा था कि वह बवण्डर में फंसा उड़ा जा रहा है और उसके पास विचार करने के लिए भी समय नहीं।

नज़ीर की माँ ने दो प्याले चाय जल्दी-जल्दी बनाये और चाय अभी पी ही जा रही थी कि टैक्सी आ गयी। दोनों उठे और तेज ब्रीफ-केस ले चल दिया। नज़ीर के पास उसका हैण्ड बैग ही था।

तेजकृष्ण ने पूछा, ‘‘तो किताब साथ नहीं चलेंगी?’’

‘वह यहां लौट कर अभी ‘रिवाईज़’ करनी है और यह फुरसत के समय यहां ही हो सकेगा। आपको एक नया दृष्टिकोण मिलेगा।’’

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book