लोगों की राय

उपन्यास >> गोदान’ (उपन्यास)

गोदान’ (उपन्यास)

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :758
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8458
आईएसबीएन :978-1-61301-157

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

54 पाठक हैं

‘गोदान’ प्रेमचन्द का सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपन्यास है। इसमें ग्रामीण समाज के अतिरिक्त नगरों के समाज और उनकी समस्याओं का उन्होंने बहुत मार्मिक चित्रण किया है।


‘और कैसे आती। पानी कम न था।’

मथुरा उसे अन्दर ले गया। बरोठे में अँधेरा था। उसने सिलिया का हाथ पकड़कर अपनी ओर खींचा। सिलिया ने झटके से हाथ छुड़ा लिया और रोष से बोली–देखो मथुरा, छेड़ोगे तो मैं सोना से कह दूँगी। तुम मेरे छोटे बहनोई हो, यह समझ लो! मालूम होता है, सोना से मन नहीं पटता।

मथुरा ने उसकी कमर में हाथ डालकर कहा–तुम बहुत निठुर हो सिल्लो? इस बखत कौन देखता है।

‘क्या इसलिए सोना से सुन्दर हूँ। अपने भाग नहीं बखानते हो कि ऐसी इन्दर की परी पा गये। अब भौंरा बनने का मन चला है। उससे कह दूँ तो तुम्हारा मुँह न देखे।’

मथुरा लम्पट नहीं था। सोना से उसे प्रेम भी था। इस वक्त अँधेरा और एकान्त और सिलिया का यौवन देखकर उसका मन चंचल हो उठा था। यह तम्बीह पाकर होश में आ गया। सिलिया को छोड़ता हुआ बोला–तुम्हारे पैरों पड़ता हूँ सिल्लो, उससे न कहना। अभी जो सजा चाहो, दे लो।

सिल्लो को उस पर दया आ गयी। धीरे से उसके मुँह पर चपत जमाकर बोली–इसकी सजा यही है कि फिर मुझसे सरारत न करना, न और किसी से करना, नहीं सोना तुम्हारे हाथ से निकल जायगी।

‘मैं कसम खाता हूँ सिल्लो, अब कभी ऐसा न होगा।’ उसकी आवाज में याचना थी। सिल्लो का मन आन्दोलित होने लगा। उसकी दया सरस होने लगी।

‘और जो करो?’

‘तो तुम जो चाहना करना।’

सिल्लो का मुँह उसके मुँह के पास आ गया था, और दोनों की साँस और आवाज और देह में कम्पन हो रहा था। सहसा सोना ने पुकारा–किससे बातें करते हो वहाँ?

सिल्लो पीछे हट गयी। मथुरा आगे बढ़कर आँगन में आ गया और बोला–सिल्लो तुम्हारे गाँव से आयी है।

सिल्लो भी पीछे-पीछे आकर आँगन में खड़ी हो गयी। उसने देखा, सोना यहाँ कितने आराम से रहती है। ओसारी में खाट है। उस पर सुजनी का नर्म बिस्तर बिछा हुआ है; बिलकुल वैसा ही, जैसा मातादीन की चारपाई पर बिछा रहता था। तकिया भी है, लिहाफ भी है। खाट के नीचे लोटे में पानी रखा हुआ है। आँगन में ज्योत्स्ना ने आईना-सा बिछा रखा है। एक कोने में तुलसी का चबूतरा है, दूसरी ओर जुआर के ठेठों के कई बोझ दीवार से लगाकर रखे हैं। बीच में पुआलों के गड्ढे हैं। समीप ही ओखल है, जिसके पास कूटा हुआ धान पड़ा हुआ है। खपरैल पर लौकी की बेल चढ़ी हुई है और कई लौकियाँ ऊपर चमक रही हैं। दूसरी ओर की ओसारी में एक गाय बँधी हुई है। इस खंड में मथुरा और सोना सोते हैं? और लोग दूसरे खंड में होंगे। सिलिया ने सोचा, सोना का जीवन कितना सुखी है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book