कहानी संग्रह >> ग्राम्य जीवन की कहानियाँ (कहानी-संग्रह) ग्राम्य जीवन की कहानियाँ (कहानी-संग्रह)प्रेमचन्द
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उपन्यासों की भाँति कहानियाँ भी कुछ घटना-प्रधान होती हैं, मगर…
करुणा उसकी बोली सुनकर बाहर निकल आयी, और पूछा–क्या है माता? किसे कह रही हो?
भिखारिन ने प्रकाश की तरफ इशारा कर के कहा–वह तुम्हारा लड़का है न। देखो, कटोरे में भूसा भर कर मेरी झोली में डाल गया है। चुटकी-भर आटा था, वह भी मिट्टी में मिल गया। कोई इस तरह दुःखियों को सताता है? सब के दिन एक से नहीं रहते! आदमी को घमंड न करना चाहिए।
करुणा ने कठोर स्वर में पुकारा–प्रकाश!
प्रकाश लज्जित न हुआ। अभिमान से सिर उठाये हुए आया बोला–यह हमारे घर भीख क्यों माँगने आयी है? कुछ काम क्यों नहीं करती?
करुणा ने उसे समझाने की चेष्टा करके कहा–शर्म तो नहीं आती; उलटे आँखें दिखाते हो।
प्रकाश–शर्म क्यों आये? यह क्यों रोज भीख माँगने आती है? हमारे यहाँ कोई चीज़ मुफ्त आती है!
करुणा–तुम्हें कुछ न देना था तो सीधे कह देते, जाओ। तुमने यह शरारत क्यों कि?
प्रकाश–उसकी आदत कैसे छूटती?
करुणा ने बिगड़ कर कहा–तुम अब पिटोगे मेरे हाथों।
प्रकाश–पिटूँगा क्यों, आप जबरदस्ती पीटेंगी? दूसरे मुल्कों में अगर कोई भीख माँगे, तो कैद कर दिया जाय। यह नहीं की उलटे भीखमंगों को और शह दिया जाय।
करुणा–जो अपंग है, वह कैसे काम करे?
प्रकाश–तो जाकर डूब मरे; जिन्दा क्यों रहती है!
करुणा निरुत्तर हो गयी। बुढ़िया को तो उसने आटा-दाल दे कर विदा किया, किन्तु प्रकाश का कुतर्क उसके हृदय में फोड़े के समान टीसता रहा। इसने यह धृष्टता, यह अविनय कहाँ सीखा। रात को भी उसे बार-बार यही ख्याल सताता रहा।
आधी रात के समीप एकाएक प्रकाश की नींद टूटी, लालटेन जल रही है, और करुणा बैठी रो रही है। उठ बैठा और बोला–अम्माँ; अभी तक तुम सोई नहीं?
करुणा ने मुँह फेरकर कहा–नींद नहीं आयी। तुम कैसे जाग गये? प्यास तो नहीं लगी है?
प्रकाश–नहीं अम्माँ, न जाने क्यों आँख खुल गयी–मुझसे आज बड़ा अपराध हुआ अम्माँ–
करुणा ने उसके मुख की ओर स्नेह के नेत्रों से देखा।
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