कहानी संग्रह >> हिन्दी की आदर्श कहानियाँ हिन्दी की आदर्श कहानियाँप्रेमचन्द
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प्रेमचन्द द्वारा संकलित 12 कथाकारों की कहानियाँ
बिजली की तरह दोनों हाथों से उल्टी बंदूक को उठाकर लहनासिंह ने साहब की कुहनी पर तानकर दे मारा। धमाके के साथ साहब के हाथ से दियासलाई गिर पड़ी। लहनासिंह ने कुंदा साहब की गर्दन पर मारा और साहब ‘आँख! मीन गौट्ट’ (हाय! मेरे राम) कहते हुए चित्त हो गये। लहनासिंह ने तीनों गोले बीनकर ख़ंदक़ के बाहर फेंके और साहब को घसीटकर सिगड़ी के पास हटाया। जेबों की तलाशी ली। तीन-चार लिफ़ाफे और एक डायरी निकालकर उन्हें अपनी जेब के हवाले किया।
साहब की मूर्छा हटी। लहनासिंह हँसकर बोला–क्यों लपटन साहब, मिजाज कैसा है? आज मैंने बहुत बातें सीखी। यह सीखा कि सिख सिगरेट पीते हैं। यह सीखा कि जगाधरी के जिले में नील गायें होती हैं और उनके दो फुट चार इंच के सींघ होते हैं। यह सीखा कि मुसलमान खानसामा मूर्तियों पर जल चढ़ाते हैं और लपटन साहब खोते पर चढ़ते हैं, पर यह तो कहो, ऐसी साफ उर्दू कहाँ से सीख आये? हमारे लपटन साहब तो बिना ‘डैम’ के पाव लफ्ज़ भी नहीं बोला करते थे।
लहना ने पतलून की जेबों की तलाशी नहीं ली थी। साहब ने मानो जाड़े से बचने के लिए, दोनों हाथ जेबों में डाले।
लहनासिंह कहता गया–चालाक तो बड़े हो; पर माझे का लहना इतने बरस लपटन साहब के साथ रहा है। उसे चकमा देने के लिये चार आँखें चाहिये। तीन महीने हुए, एक तुरकी मौलवी मेरे गाँव में आया था। औरतों को बच्चे होने का ताबीज बाँटता था और बच्चों को दवाई देता था। चौधरी के बड़ के नीचे मंजा (खटिया) बिछाकर हुक्का पीता रहता था और कहता था कि जर्मनी वाले बड़े पंडित हैं। वेद पढ़-पढ़कर उसमें से विमान चलाने की विद्या जान गये हैं। गौ को नहीं मारते। हिन्दुस्तान में आ जायेंगे तो गौ-हत्या बंद कर देंगे। मंडी के बनियों को बहलाता था कि डाकखाने से रुपये निकाल लो। सरकार राज्य जानेवाला है। डाक-बाबू पोल्हूराम भी डर गया था। मैंने मुल्ला जी की दाढ़ी मूड़ दी थी और गाँव से बाहर निकालकर कहा था कि जो मेरे गाँव में अब पैर रखा तो...
साहब की जेब में से पिस्तौल चला और लहना की जाँघ में गोली लगी। इधर लहना की हेनरी मार्टिनी के दो फायरों ने साहब की कपालक्रिया कर दी। धड़ाका सुनकर सब दौड़ आये।
बोधा चिल्लाया–क्या है!
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