लोगों की राय

कहानी संग्रह >> कलम, तलवार और त्याग-2 (जीवनी-संग्रह)

कलम, तलवार और त्याग-2 (जीवनी-संग्रह)

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :158
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8502
आईएसबीएन :978-1-61301-191

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

121 पाठक हैं

महापुरुषों की जीवनियाँ


यूरोपीय महापुरुष की तरह टोडरमल ने भी हर काम को निश्चित सिद्धान्त और समयों के अनुसार करने की आदत डाल रखी थी। समस्त विभागों के दफ्तर कठपुतली की तरह उसकी उँगली के इशारे पर काम करते थे। अकबर जैसा गुणों की परख करनेवाला बादशाह इन गुणों की कद्र न करता, यह असंभव था। इसमें संदेह नहीं कि उनके नियम-प्रतिबन्धों के कारण बड़े और प्रभावशाली लोग अक्सर दिल में जला करते थे। इसी से अकबर के काल के इतिहास–लेखकों ने उसे अभिमानी और घमण्डी लिखा है। पर ध्यान रहे कि नियमनिष्ठ लोग अक्सर स्वार्थी जनों की झूठी तुहमतों के शिकार हो जाते हैं। यह टोडरमल की सौम्य वृत्ति और विवेकशीलता ही थी, जिससे वह अपनी इज्जत-आबरू सँभाले रहा, नहीं तो दरबार के प्रभावशाली व्यक्तियों ने उसकी बुराई करने में कोई कसर न रखी थी।

टोडरमल को घमण्डी कहना वस्तुस्थिति पर धूल डालना है। बंगाल में उसने ७ साल तक असि-संचालन किया और यद्यपि सारी सेना उसकी भृकुटि के संकेत पर चलती थी, पर उसने कभी सेनापतित्व का दावा न किया। उसने अपने को ऊँचा करना सीखा ही न था और अकबर जैसा गुण-पारखी मालिक उसको न मिल जाता, तो किरानी का पद ही उसकी उन्नति का शिखर बनकर रह जाता। इस नम्रता के साथ प्रकृति में स्वाधीनता भी ऐसी थी कि बंगाल में मुनइम ख़ाँ ख़ानख़ानाँ ने जब दाउद ख़ाँ से सुलह भी की, तो टोडरमल ने उसका विरोध किया और अपनी बात पर ऐसा अड़ा कि संधिपत्र पर मुहर तक न की। इसी स्वाधीनता-प्रियता से जलन रखनेवालों की संकीर्णता ने घमंड और अहंकार का रूप दे दिया। इस स्वातंत्रय प्रियता के साथ स्पष्ट भाषिता का गुण भी उसे काफ़ी मिला था। बादशाह के मुँह पर बात कहने से न चूकता। सैकड़ों लम्बी दाढ़ीवाले मुल्ला दरबार की हवा में आकर नास्तिकता की घोषणा करने लगे थे; पर टोडरमल अन्त समय तक कट्टर धर्मनिष्ठ हिन्दू बना रहा। जब तक ठाकुरजी की पूजा न कर लेता, अन्न मुँह में न डालता। इससे बढ़कर स्वतन्त्र विचार का होने का और क्या प्रमाण हो सकता है।

000

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book