लोगों की राय

नाटक-एकाँकी >> करबला (नाटक)

करबला (नाटक)

प्रेमचन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :309
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8508
आईएसबीएन :978-1-61301-083

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

36 पाठक हैं

अमर कथा शिल्पी मुशी प्रेमचंद द्वारा इस्लाम धर्म के संस्थापक हज़रत मुहम्मद के नवासे हुसैन की शहादत का सजीव एवं रोमांचक विवरण लिए हुए एक ऐतिहासित नाटक है।


अब्बास– अगर उसकी यह नीयत है, तो कलाम पाक की कसम, मैं आपके पसीने की जगह अपना खून बहा दूंगा, और आपसे आगे बढ़कर इतनी तलवारें चलाऊंगा कि मेरे दोनों हाथ कटकर गिर जायें।

(जैनबू, शहरबानू और घर के अन्य लोग आते हैं।)

जैनब– अब्बास, बातें न करो। (हुसैन से) भैया, मैं आपके पैरों पड़ती हूं। आप यह इरादा तर्क कर दीजिए, और मदीने में रसूल की कब्र से लगे हुए जिंदगी बसर कीजिए, और अपनी गर्दन पर इस्लाम की तबाही का इल्जाम न लीजिए।

हुसैन– जैनब ऐसी बातों पर तुफ़ है। जब तक ज़मीन और आसमान कायम है, मैं यजीद की बैयत नहीं मंजूर कर सकता। क्या तुम समझती हो कि मैं गलती पर हूं?

जैनब– नहीं भैया, आप ग़लती पर नहीं है। अल्लाहताला अपने रसूल के बेटे को गलत रास्ते पर नहीं ले जा सकता, अगर आप जानते हैं कि ज़माने का रंग बदला हुआ है। ऐसा न हो, लोग आपके खिलाफ़ उठ खड़े हों।

हुसैन– बहन, इंसान सारी दुनिया के ताने बर्दाश्त कर सकता है, पर अपने ईमान का नहीं। अगर तुम्हारा यह ख़याल है कि मेरी बैयत न लेने से इस्लाम में तफ़र्खा पड़ जायेगा, तो यह समझ लो कि इत्तिफ़ाक कितनी ही अच्छी चीज़ हो, लेकिन रास्ती उससे कहीं अच्छी है। रास्ती को छोड़कर मेल को कायम रखना वैसा ही है, जैसा जान निकल जाने के बाद जिस्म क़ायम रखना। रास्ती क़ौम की जान है, उसे छोड़कर कोई क़ौम बहुत दिनों तक जिंदा नहीं रह सकती। इस बारे में मैं अपनी राय कायम कर चुका, अब तुम लोग मुझे रुखसत करो। जिस तरह मेरी बैयत से इस्लाम का बक़ार मिल जायेगा, उसी तरह मेरी शहादत से उसका बक़ार कायम रहेगा। मैं इस्लाम की हुरमत पर निसार हो जाऊंगा।

शहरबानू– (रोकर) क्या आप हमें अपने कदमों से जुदा करना चाहते हैं?

अली अकबर– अब्बाजान, अगर शहीद ही होना है, तो हम भी वह दर्जा क्यों न हासिल करें?

मुस्लिम– या अमीर, हम आपके क़दमों पर निसार होना ही अपनी जिंदगी का हासिल समझते हैं। आप न ले जायेंगे, तो हम जबरन आपके साथ चलेंगे।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book