लोगों की राय

उपन्यास >> प्रगतिशील

प्रगतिशील

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8573
आईएसबीएन :9781613011096

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

88 पाठक हैं

इस लघु उपन्यास में आचार-संहिता पर प्रगतिशीलता के आघात की ही झलक है।


‘‘मैं आप सबका आभारी हूं।’’ मदन ने कहा, ‘‘इस विचित्र देश पर पग धरने के प्रथम घण्टे में ही आप लोगों का परिचय और सहानुभूति प्राप्त कर पाया हूं। मैं हिन्दुस्तान की राजधानी नई दिल्ली का रहने वाला हूं। मैं भी माता विहीन हूं। मेरा पालन-पोषण मेरी दादी और बाबा ने किया है। इस समय भारत सरकार की छात्रवृत्ति पर मिशिगन विश्वविद्यालय में मैं केमिकल इंजीनियरिंग पढ़ने के लिए आया हूं।’’

‘‘आप विवाहित हैं?’’ मिस मैकी पाल ने पूछा।

‘‘नहीं, अभी नहीं। अध्ययन पूर्ण होने पर भारत लौटने के उपरान्त मेरा विवाह होगा।’’

‘‘अर्थात् आपकी सगाई हो चुकी है?’’

‘‘हां।’’

‘‘क्या वह बहुत सुन्दर है?’’

‘‘एक दृष्टि से देखा जाय तो नहीं है और एक अन्य दृष्टि से देखा जाय तो है।’’

‘‘यह किस प्रकार?’’

‘‘जहां तक शारीरिक सौन्दर्य का सम्बन्ध है, वह आप से किसी केसाथ भी तुलनीय नहीं है। हां, मन, बुद्धि, मन की स्पष्टता और स्वच्छता में अथवा दूरदर्शिता में कदाचित् वह अच्छी है।’’

इस पर मिस सर्वाटोव ने पूछा, ‘‘क्या विवाह में शारीरिक सौन्दर्य ही मुख्य नहीं होता?’’

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book