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अंतस का संगीत

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :113
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9545
आईएसबीएन :9781613015858

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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ



सपने आये


जब सपनों की चाह नहीं थी
कैसे - कैसे सपने आये

कभी तैरते फिरे हवा में
डूबे कभी नील झीलों में
कभी चाँदनी बनकर बिखरे
कभी आ गये कंदीलों में

नेहपाश जब टूट चुका है
तब क्यों मुझमें कसने आये

मधुवन चाहे जितना महके
अब मुझ को क्या लेना-देना
अर्थ नहीं रखता है कुछ भी
तट पर बंधी नाव का खेना

सुख तो मिला ग़ैर लोगों से
दुख देने सब अपने आये

आ पहुँचा उस जगह जहाँ पर
गगन नहीं है, धरा नहीं है
छवियों में है रूप तुम्हारा
सुधियों में दूसरा नहीं है

मन का कोना-कोना खण्डहर
अब क्या इसमें बसने आये

* *

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